फॉरवर्ड इलाकों में कम समय में सैनिकों की तैनाती कर सकती है चीनी सेना : आर्मी चीफ नरवणे

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन पिछले साल अप्रैल महीने से ही आमने-सामने की स्थिति में थी।

Update: 2021-05-28 18:01 GMT

पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो के दोनों किनारों पर फरवरी महीने में भारतीय और चीनी सेनाओं द्वारा रणनीतिक ऊंचाइयों से पीछे हटने के बावजूद, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पार अपने डेप्थ इलाकों में टैंकों, सैनिकों और हथियारों को तैनात करना जारी रखे हुए है। यहां से पीएलए अपने जवानों को फॉरवर्ड इलाकों में कुछ ही समय में तैनात कर सकता है। यह सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने शुक्रवार को कहा। डेप्थ इलाके एलएसी से महज 150 से 200 किलोमीटर की दूरी तक होते हैं।

आर्मी चीफ नरवणे ने कहा, ''इसलिए, हमारे सैनिक भी तैयार और सतर्क स्थिति में हैं। हालात अभी स्थिर प्रतीत होते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम आत्मसंतुष्ट हो जाएं। हम वहां के घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं। पीएलए इकाइयों के रोटेशन के मामले को ले लेते हैं। एक नई यूनिट आ सकती है, लेकिन पुरानी वापस नहीं जा सकती है।'' नरवणे ने आगे बताया कि दोनों ही सेनाओं ने लद्दाख में अभी 50,000-60,000 जवानों की तैनाती की हुई है। डिस-एंगेजमेंट के बाद भी डेवलपमेंट में कमी नहीं आई है।
पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन पिछले साल अप्रैल महीने से ही आमने-सामने की स्थिति में थी। इस दौरान कई बार हिंसक घटनाएं भी हुई थीं, जिसमें भारत के कई जवान भी शहीद हो गए थे। उधर, चीन के भी कई सैनिक मारे गए थे। कई दौर की बैठक के बाद दोनों देश फरवरी महीने में पैंगोंग सो के दो किनारों से पीछे हटने पर सहमत हुए थे, जबकि गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स समेत कई ऐसे इलाके हैं, जहां पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने बनी हुई हैं।
आर्मी चीफ ने कहा कि हमें हर दौर की बातचीत के बाद नतीजे की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। कई दौर की बातचीत के बाद पैंगोंग सो में डिस-एंगेजमेंट हुआ था। अगले दौर की बातचीत (12वां दौर) आयोजित करने की प्रक्रिया जारी है। कोविड की स्थिति के कारण इसमें समय लग रहा है लेकिन बातचीत होगी। कोर कमांडर रैंक के अधिकारियों के बीच 11 वें दौर की बातचीत 9 अप्रैल को हुई थी।
उन्होंने आगे कहा, ''पैंगोंग सो क्षेत्र या शेष क्षेत्रों में डिस-एंगेजमेंट पर पहुंचने के दौरान हमारा रुख स्थिर था और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। हम चाहते हैं कि अप्रैल 2020 की यथास्थिति बहाल हो। भारतीय सेना ने पीएलए को स्पष्ट कर दिया है कि तनाव कम करने पर तभी विचार किया जाएगा, जब दोनों पक्षों की आपसी संतुष्टि के लिए डिस-एंगेजमेंट पूरा हो जाएगा।''
जनरल नरवणे ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर कहा, ''महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हमारे सैनिकों का नियंत्रण है, किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए हमारे पास रिजर्व के रूप में पर्याप्त ताकत है। हम पूर्वी लद्दाख में अपने दावों की शुचिता सुनिश्चित करते हुए चीन के साथ दृढ़ता से और बिना तनाव बढ़ाए व्यवहार कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि भारत का रुख बहुत स्पष्ट है कि विवाद के सभी बिन्दुओं से सैनिकों की वापसी होने से पहले कोई तनाव कम नहीं हो सकता। आर्मी चीफ ने कहा, ''चूंकि दोनों पेशेवर सेनाएं हैं, इसलिए जरूरी है कि हम जल्द-से-जल्द विश्वास बहाल कर स्थिति को सुलझा लें। दो देशों के बीच बड़े गतिरोध से विश्वास घटता है जिससे दोनों पक्षों को जनहानि होती है।'' उन्होंने कहा कि भारत, चीन ने कई सीमा समझौते पर दस्तखत कर रखे हैं जिनका पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने एकतरफा तरीके से उल्लंघन किया है।


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