हांगकांग में चीन की तानाशाही से कोहराम, अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों ने नहीं माना ये नियम तो जाएगी नौकरी

चीन और तानाशाही, ये वो दो नाम हैं, जिन्हें एक दूसरे का पर्याय माना जाए तो कुछ गलत नहीं होगा.

Update: 2022-06-13 03:53 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन और तानाशाही, ये वो दो नाम हैं, जिन्हें एक दूसरे का पर्याय माना जाए तो कुछ गलत नहीं होगा. चीन की कम्युनिस्ट सरकार (Communist Government of China) अपना दबाव हांगकांग में भी बढ़ा रही है. यहां सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी पढ़ाने वाले विदेशी मूल के शिक्षकों से कहा गया है कि उन्हें हांगकांग के प्रति निष्ठा की शपथ लेनी होगी. हांगकांग (Hong Kong) के शिक्षा ब्यूरो के बयान के अनुसार, नेटिव इंग्लिश स्पीकिंग टीचर्स को 21 जून तक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने होंगे. अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा.

अंग्रेजी के शिक्षकों को ये शपथ लेनी होगी कि वह हांगकांग के प्रति पूरी निष्ठा रखेंगे. इसके साथ ही इन लोगों को हांगकांग के बुनियादी कानून, संविधान और सरकारी आदेशों का भी पालन करना होगा. बता दें साल 1998 में एनआईटी योजना लागू की गई थी. जिसके तहत हांगकांग में सरकारी और सरकारी सब्सिडी वाले प्राथमिक-माध्यमिक स्कूलों में अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों को नियुक्त करने की अनुमति दी गई थी.
2020 में लाए गए थे शपथ पत्र
हांगकांग में 2020 से नौकरियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार इस तरह के शपथ पत्र लाने लगी. अक्टूबर 2020 में शपथ पत्र सिविल सर्विस वालों के लिए लाया गया. इस तरह के फैसलों के पीछे का कारण माना जाता है कि चीन की सरकार हांगकांग में रहने वालों को अपने प्रति वफादार बनाने के लिए ऐसा कर रही है. वहीं हांगकांग की सरकार ऐसा मानती है कि अंग्रेजी पढ़ने से ही स्टूडेंट्स में लोकतंत्र के बीज पनपते हैं. इसके साथ ही सरकार तियानमेन जैसे लोकतांत्रिक आंदोलन को दोहराना नहीं चाहती है. वहीं कोरोना वायरस की सख्ती से परेशान होकर हांगकांग मूल के कई अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षक भी नौकरी छोड़कर चले गए हैं.
तियानमेन में क्या हुआ था
चीन के बीजिंग में तियानमेन चौक पर चार जून 1989 को चीनी सेना की कार्रवाई में मारे गए लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों की याद में विक्टोरिया पार्क में हर साल जुलूस निकाला जाता था. इस जुलूस के आयोजक हांगकांग एलायंस इन सपोर्ट ऑफ पैट्रिऑटिक डेमोक्रेटिक मूवमेंट्स ऑफ चाइना के कई नेताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के उल्लंघन के संदेह में गिरफ्तार कर लिया गया था. तियानमेन चौक पर 1989 में चीनी सेना की दमनकारी कार्रवाई में सैकड़ों लोग मारे गए थे. जिसकी दुनियाभर में आज भी निंदा की जाती है. चीन के अलावा अन्य देशों में तियानमेन घटना की याद में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
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