चीन चाहता है लंबे समय तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर रखना...

1972 में सबसे पहले चंद्रमा पर मानव भेजे थे और 2024 में भी फिर से मानव उतारने का कार्यक्रम बनाया है। उसके मुकाबले चीन अनुभवहीन है।

Update: 2021-03-15 05:54 GMT

चीन अपने अंतरिक्ष यात्रियों को लंबे समय के लिए चांद पर रखने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए वह लूनर रिसर्च स्टेशन बनाएगा। इस स्टेशन में रहकर अंतरिक्ष यात्री या कहें चंद्रवासी, कई तरह के वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे।

इस बारे में चीन के चंद्रमा अभियान के प्रमुख वैज्ञानिक वु वाइरन ने बताया कि अगर चीन यह स्टेशन बनाने में सफल रहा, तो चंद्रमा पर मानव उतारने की सफलता उससे बहुत दूर नहीं रहेगी। पिछले एक दशक में चीन ने कई मिशन यहां भेजे हैं। दक्षिण ध्रुव पर एक रोबोटिक बेस भी बनाया है, यह भी भविष्य में यहां मानव भेजने के कार्यक्रम का हिस्सा है। पिछले हफ्ते रूस के साथ उसने समझौता किया जो लूनर रिसर्च स्टेशन बनाने में मदद करेगा।
अमेरिकी मिशन से अलग क्या?
अमेरिकी मिशन में चंद्रमा पर उतारे गए यात्रियाें ने कुछ घंटे ही वहां बिताए हैँ। इसके मुकाबले चीन लूनर रिसर्च स्टेशन पर कुछ घंटे के बजाय कुछ दिन केलिए मानवों को रखना चाह रहा है। इसी लिए वह अपने मौजूदा व निकट भविष्य के मिशन में चंद्रमा से सैंपल लाने, वहां के वातावरण के विस्तृत अध्ययन व सर्वे करने और तकनीकी परीक्षण कर रहा है।
टाइम लाइन घोषित नहीं
अभी इस पूरी परियोजना की टाइम लाइन चीन ने नहीं बताई है। न ही यह साफ किया है कि वह मानव को चंद्रमा पर कितने दिन रखने का लक्ष्य बना रहा है। उसका लक्ष्य अब तक की सबसे लंबी अवधि का मिशन चंद्रमा पर भेजना होगा।
तकनीक में अमेरिका से पीछे : चीन के लिए सबसे बड़ी बाधा रॉकेट हैं। उसके पास इस समय ऐसे रॉकेट ही नहीं हैं, जो चंद्रमा तक मानव भेजने जितनी शक्ति रखते हों। वह 2025 तक ऐसे रॉकेट बनाने में जुटा है। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 1972 में सबसे पहले चंद्रमा पर मानव भेजे थे और 2024 में भी फिर से मानव उतारने का कार्यक्रम बनाया है। उसके मुकाबले चीन अनुभवहीन है।


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