चीन अंतरिक्ष में बना रहा स्पेस स्टेशन, मिशन के लिए Astronauts को दे रहा ट्रेनिंग
चीन (China) अंतरिक्ष (Space) में अपनी बढ़त हासिल करने के लिए लगातार सैटेलाइट्स को भेजता रहता है
चीन (China) अंतरिक्ष (Space) में अपनी बढ़त हासिल करने के लिए लगातार सैटेलाइट्स को भेजता रहता है. लेकिन अब चीन अंतरिक्ष में अपना स्थायी स्पेस स्टेशन (Space Station) बनाने के लिए तैयारी कर रहा है. इसी कड़ी में चीन ने गुरुवार को कहा कि इसके इस साल होने वाले चार क्रू मिशन के लिए अंतरिक्षयात्रियों (Astronauts) का एक जत्था ट्रेनिंग कर रहा है. चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (China National Space Administration) के मुताबिक स्पेस स्टेशन के कोर मोड्यूल को अगले महीने तक लॉन्च किया जाएगा.
बीजिंग ने पिछले महीने 'लॉन्ग मार्च-5B Y2' (Long March-5B Y2 rocket) रॉकेट और उसके पेलोड को हैनात प्रांत में स्थित वेनचांग स्पेसक्राफ्ट लॉन्च साइट (Wenchang Spacecraft Launch Site) पर ले जाया गया. चीन ने 2022 तक अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन बनाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए हैनान से 11 अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किए जाएंगे. चीन की अंतरिक्ष एजेंसी ने 12 अंतरिक्षयात्रियों की सूची बनाई है, जो क्रू मिशन के लिए ट्रेनिंग कर रहे हैं. इसमें शेंजू फ्लाइट्स में शामिल रहे वेटर्न अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं.
15 सालों तक प्रयोग में रहेगा चीनी स्पेस स्टेशन
चीन ने पहले ही दो प्रयोगात्मक स्पेस स्टेशन को लॉन्च किया है, ताकि डॉकिंग और अंतरिक्ष में लाइफ सपोर्ट की जांच की जा सके. वहीं, एक बार अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन के स्थापित हो जाने के बाद इसमें छह महीने तक अंतरिक्षयात्री ठहर सकेंगे. इसमें ठहरने की अवधि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के बराबर ही है. बताया गया है कि चीनी स्पेस स्टेशन को 15 सालों तक प्रयोग किया जाएगा. माना जा रहा है कि ये ISS की जगह ले लेगा, जो अपने कार्यात्मक जीवन काल के खत्म होने की ओर है.
ISS का हिस्सा नहीं है चीन
ISS को अमेरिका, रूस, जापान, यूरोप, कनाडा और अन्य देशों का समर्थन प्राप्त है. लेकिन चीन ने इसमें हिस्सा नहीं लिया है. माना जाता है कि इसके पीछे की वजह अमेरिका है, जिसका मानना है कि टेक्नोलॉजी को साझा करना खतरनाक हो सकता है. क्योंकि चीन इसका प्रयोग खुफिया मिलिट्री कार्यों के लिए कर सकता है. चीन ने 2003 में पहली बार अंतरिक्ष में अंतरिक्षयात्री को भेजने के बाद से तेजी से इस दिशा में कार्य किया है. चीनी स्पेस एजेंसी ने 2009 में चंद्रम की सतह पर एक रोवर को लैंड करवाया.