तालिबान राज आने के बाद पहली बार भारतीय दल के काबुल पहुंचने पर चीन चौकन्ना
वरिष्ठ सदस्यों से भी मुलाकात करेगी और अफगानिस्तान के लोगों को नई दिल्ली की मानवीय सहायता पर चर्चा करेगी।
काबुल: अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के बाद पहली बार भारतीय दल के काबुल पहुंचने पर चीन चौकन्ना हो गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेपी सिंह के तालिबानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टानेकजई से मीटिंग के ठीक बाद अफगानिस्तान में चीन के राजदूत डिंग यिनान हरकत में आ गए। चीनी राजदूत ने अफगान उप विदेश मंत्री स्टानेकजई से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि चीन सरकार अब अफगानिस्तान में परियोजनाओं को शुरू करने और सहयोग को बढ़ाने के लिए तैयार है।
तालिबानी प्रवक्ता की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चीनी राजदूत के साथ बैठक अफगानिस्तान-चीन के बीच ऐतिहासिक संबंधों, द्विपक्षीय सहयोग और अफगानिस्तान में पूरे नहीं हुए प्रॉजेक्ट को फिर से शुरू होने पर केंद्रित थी। तालिबानी मंत्री ने चीन से अफगानिस्तान के नूरिस्तानी प्रांत में लगी आग पर काबू पाने में मदद के लिए अनुरोध किया। चीन ने कहा कि वह तत्काल अपनी सरकार से इसका अनुरोध करेगा।
अफगानिस्तान तक सीपीईसी परियोजना को बढ़ाना चाहता है चीन
चीनी राजदूत ने ऐलान किया कि चीन सरकार अफगानिस्तान में परियोजनाओं की शुरुआत करने और सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है। चीन की नजर अफगानिस्तान के अरबों के डॉलर खनिज भंडारों पर है। चीन अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर निवेश करना चाहता है ताकि सोना, रेयर अर्थ जैसी दुर्लभ धातुओं पर कब्जा किया जा सके। चीन अफगानिस्तान तक अपनी सीपीईसी परियोजना को बढ़ाना चाहता है जो अभी पाकिस्तान के ग्वादर तक है।
बता दें कि भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव के नेतृत्व में एक टीम अफगानिस्तान में भारत की मानवीय सहायता के वितरण कार्यों की निगरानी के लिए काबुल की यात्रा पर है। एक बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा, 'यात्रा के दौरान, टीम मानवीय सहायता के वितरण में शामिल अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों से मिलेगी। इसके अलावा, टीम के विभिन्न स्थानों का दौरा करने की उम्मीद है जहां भारतीय कार्यक्रम/परियोजनाएं लागू की जा रही हैं।'
भारत ने अफगानिस्तान को दिया 20,000 मीट्रिक टन गेहूं
बयान में कहा गया है कि युद्धग्रस्त लोगों के लिए भारत की मानवीय सहायता के तहत, 'हम पहले ही मानवीय सहायता के कई शिपमेंट भेज चुके हैं, जिसमें 20,000 मीट्रिक टन गेहूं, 13 टन दवाएं, कोविड वैक्सीन की 500,000 खुराक और सर्दियों के कपड़े शामिल हैं। ये खेप भारत गांधी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, काबुल और डब्ल्यूएचओ और डब्ल्यूएफपी सहित संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसियों को सौंप दी गई थी। इसके अलावा, भारत अफगानिस्तान को अधिक चिकित्सा सहायता और खाद्यान्न भेजने की प्रक्रिया में है।'
मंत्रालय ने बयान में कहा कि अफगानिस्तान के साथ विकासात्मक साझेदारी के क्रम में, भारत ने ईरान में अफगान शरणार्थियों को प्रशासन के लिए भारत निर्मित कोवैक्सिन की एक मिलियन खुराक ईरान को दी है। बयान में कहा गया है, 'हमने पोलियो वैक्सीन की लगभग 60 मिलियन खुराक और दो टन आवश्यक दवाओं की आपूर्ति करके यूनिसेफ की भी सहायता की है। भारत के विकास और मानवीय सहायता को अफगान समाज के पूरे स्पेक्ट्रम में व्यापक प्रशंसा मिली है।' मंत्रालय के अनुसार, भारतीय टीम तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से भी मुलाकात करेगी और अफगानिस्तान के लोगों को नई दिल्ली की मानवीय सहायता पर चर्चा करेगी।