कोरोनावायरस से संक्रमित बच्चों को सावधान हो जाने की है जरूरत, वायरल फीवर समझने की भूल ना करें
वैज्ञानिक ने कहा, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है, उन्हें कोरोनावायरस संक्रमित होनें का खतरा ज्यादा है।
कोरोनावायरस ने हर उम्र वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है। बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक कई लोग कोरोनावायरस के शिकार हो चुके हैं। हालांकि, छोटे बच्चों पर कोरोनावायरस का ज्यादा भयावह असर नहीं देखा गया, लेकिन जो बच्चे कोरोना संक्रमित हुए हैं उन्हें सतर्क होने की जरुरत है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, दरअसल द पीडियाट्रिक इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है कि जो बच्चे सार्स कोविड-2 से संक्रमित हुए हैं, उन बच्चों के शरीर में तीन महीनों तक कोरोना के हल्के लक्ष्ण पाए जा सकते हैं। द पीडियाट्रिक इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित शोध में अमेरिका के टेक्सास राज्य में 5 से 18 साल की आयु के स्वयंसेवकों के डेटा वेरिएंट की जांच की।
डेल्टा और ओमिक्रॉन की वजह से कई बच्चों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा: रिपोर्ट
इस अध्ययन के लिए डेटा, वैक्सीन रोलआउट से पहले और कोरोनावयरस के डेल्टा और ओमाइक्रोन वेरिएंट के पक्रोप के दौरान एकत्र किया गया था। टेक्सास स्वास्थ्य विज्ञान केंद्र की प्रोफेसर सारा मसीहा ने कहा, 'हमें यह समझने में दिलचस्पी थी कि क्या कोरोवायरस से संक्रमित बच्चों में लगातार लक्षण दिखाई देंगे या नहीं।' शोधकर्ताओं ने कहा कि कुल 82 बाल स्वयंसेवकों ने लंबे समय तक कोविड-19 के लंबे समय तक लक्षण होने की सूचना दी।
मसीहा ने कहा, 'डेल्टा और ओमिक्रॉन की वजह से बहुत से बच्चों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है लेकिन उनके लक्षण कम गंभीर थे।' शोधकर्ताओं ने कहा कि यह खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि यह गैर-अस्पताल में भर्ती युवाओं की उपस्थिति पर ध्यान केंद्रित करता है।
उन्होंने आगे कहा कि लगभग 1.5 प्रतिशत बच्चों में कोरोनावायरस के ने लक्षण दिखाए दिए जिसमें स्वाद और सूंघने का चला जाना सहित थकान और खांसी की परेशानी चार हफ्तों तक रही। अध्ययन में यह भी पाया गया कि अतिरिक्त 3.3 प्रतिशत बच्चों ने बताया कि उन्हें स्वाद और सूंघने की कमी महसूस की गई। वैज्ञानिक ने कहा, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है, उन्हें कोरोनावायरस संक्रमित होनें का खतरा ज्यादा है।