पाकिस्तानी विदेश मंत्री का बड़ा आरोप,कहा- पिछली सरकारों ने आतंकियों को धन मुहैया कराने पर नहीं लगाई रोक
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने आतंकी फंडिंग को लेकर बड़ा आरोप लगाया है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने आतंकी फंडिंग को लेकर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों ने देश में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों को धन मुहैया कराने पर रोक लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. FATF ने इस हफ्ते 27 सूत्री कार्य योजना के क्रियान्वयन पर रिपोर्ट मांगी है. इसी पर चर्चा के लिए विदेश मंत्री जा रहे हैं.
पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची (निगरानी सूची) में डाल दिया था. इस्लामाबाद से धनशोधन एवं आतंकवाद को धन मुहैया कराए जाने पर 2019 के अंत तक रोक लगाने के लिए कार्य योजना लागू करने को कहा था. मगर कोविड-19 वैश्विक महामारी की वजह से अंतिम समय-सीमा को बाद में बढ़ा दिया गया.
पिछली सरकारों के सिर फोड़ा ठीकरा
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' समाचार-पत्र ने खबर दी कि कुरैशी ने मंगलवार को कहा कि पूर्व की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) सरकार एफएटीएफ की ग्रे सूची में देश को रखे जाने के लिए जिम्मेदार है. कुरैशी ने कहा, 'जब PTI (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) सत्ता में आई तब पाकिस्तान पहले से एफएटीएफ की ग्रे सूची में जा चुका था.' FATF द्वारा निर्धारित सख्त शर्तों के लिए पीएमएल-एन को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि पहले की किसी भी सरकार ने धनशोधन और आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने पर रोक लगाने के लिए कदम नहीं उठाए. मंत्री ने कहा कि इन स्थितियों में राष्ट्रों को दबाव का सामना करना पड़ा है, इसलिए हमें भी इस दबाव को झेलना होगा.'
27 शर्तों को पूरा करने का दावा
विदेश मंत्री कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने एफएटीएफ की 27 शर्तों को पूरा कर लिया है इसलिए पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखे रहने का कोई आधार नहीं है. ग्रे लिस्ट का तोहफा भी पीएमएल-एन की देन है. साथ ही कहा कि अब पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखे जाने का कोई औचित्य नहीं है. यह बयान तब आया है जब वैश्विक धनशोधन निवारण निगरानी संस्था 21 जून से 25 जून तक अपनी पूर्ण बैठक में 27 सूत्री कार्य योजना के क्रियान्वयन पर पाकिस्तान द्वारा की गई प्रगति पर प्रारंभिक रिपोर्ट पर चर्चा करेगी. यह रिपोर्ट एफएटीएफ के अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (आईसीआरजी) ने तैयार की है, जिसमें चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत शामिल है. (भाषा)