पुतिन को बाइडन की चेतावनी, रूस पर भी साधा निशाना
दुनिया के लोकतांत्रिक देशों के साथ खड़ा है।
ब्रिटेन में शुक्रवार से शुरू होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बैठक से ठीक पहले रूस और ब्रिटेन को चेताया है। उन्होंने एक तरफ रूस पर निशाना साधा है कि वह नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में शामिल नहीं हो और दूसरी तरफ ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन को चेताया है कि वह उत्तरी आयरलैंड में यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ शांति को खतरे में न डाले।
बाइडन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि वह नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में शामिल होता है तो उसे इसके सख्त नतीजे भुगतने होंगे। अपने पहले विदेशी दौरे में बाइडन जी-7 के बाद 16 जून को जिनेवा में पुतिन से मुलाकात करेंगे।
उन्होंने अमेरिका के मित्र देशों के साथ पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन के तनावपूर्ण रिश्तों के बाद स्पष्ट किया कि उनका इरादा सहयोगियों से मजबूत रिश्ते बनाए रखने का है। जी-7 सम्मेलन से एक दिन पहले बाइडन ने समुद्र किनारे स्थित कार्बिस खाड़ी के एक रिसॉर्ट में ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन से मुलाकात भी करेंगे। इस दौरान बाइडन ने जॉनसन को असहज करने वाली बात भी कही कि वे उत्तरी आयरलैंड में तीन दशकों से रक्तपात को खत्म करने की दिशा में ईयू के साथ अलग होने को लेकर अपनी नफरत पर लगाम लगाएं। ऐसा करने से शांति बहाली में बड़ी मदद मिलेगी।
समझौते को खतरे में डालने वाले कदम का स्वागत नहीं : अमेरिका
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने एयरफोर्स-वन में पत्रकारों से कहा, राष्ट्रपति गुड फ्राइडे समझौते (उत्तरी आयरलैंड को लेकर ब्रिटेन-ईयू के बीच) में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की नींव के रूप में स्पष्ट हैं। राष्ट्रपति का मानना है कि कोई भी कदम जो इसे खतरे में डालता है या इसे कमजोर करता है उसका अमेरिका कभी स्वागत नहीं करेगा। बता दें कि ब्रेग्जिट के बाद उत्तरी आयरलैंड में शांति भंग हो गई है क्योंकि यह क्षेत्र ईयू के साथ सीमा साझा करता है जबकि ब्रिटेन चाहता है कि उसका इस क्षेत्र पर प्रभाव बना रहे।
बीते सालों में कई मुद्दों पर अमेरिका-रूस में तनातनी बढ़ी है और दोनों देशों के रिश्ते निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। अप्रैल में पुतिन ने पश्चिमी ताकतों द्वारा रूस पर निशाना साधने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए चेताया था कि वो लक्ष्मण रेखा पार न करें। अब अमेरिकी राष्ट्रपति 16 जून को पुतिन के साथ मुलाकात से पहले स्पष्ट करना चाहते हैं ट्रंप के बाद अमेरिका अब मैदान में वापस आ गया है और वह चुनौतियों से निपटने व भविष्य की चिंताओं का सामना करने के लिए दुनिया के लोकतांत्रिक देशों के साथ खड़ा है।