यूक्रेन संकट के बीच, बाइडेन और शॉल्त्स की मुलाकात

चांसलर बनने के बाद ओलाफ शॉल्त्स पहली बार अमेरिका के दौरे पर हैं. यूक्रेन संकट के बीच अमेरिका समेत कुछ साझेदार जर्मनी की दोस्ती पर शक जताने लगे हैं.यूक्रेन के मुद्दे पर अपना पक्ष साफ तौर पर न रख पाने की वजह से जर्मनी की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

Update: 2022-02-08 00:55 GMT

चांसलर बनने के बाद ओलाफ शॉल्त्स पहली बार अमेरिका के दौरे पर हैं. यूक्रेन संकट के बीच अमेरिका समेत कुछ साझेदार जर्मनी की दोस्ती पर शक जताने लगे हैं.यूक्रेन के मुद्दे पर अपना पक्ष साफ तौर पर न रख पाने की वजह से जर्मनी की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं. विपक्षी दल और आलोचक कह रहे हैं कि बढ़ते विवाद के बीच चांसलर ओलाफ शॉल्त्स म्यूट मोड में चले गए हैं. जर्मन मीडिया में भी अमेरिका और जर्मनी के रिश्तों की तल्खी पर आशंकाएं जताई जा रही हैं. जर्मनी की प्रतिष्ठित पत्रिका डेय श्पीगल ने जनवरी में एक रिपोर्ट छापी जिसमें कहा गया कि शॉल्त्स अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात का समय ही नहीं निकाल पा रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने तुरंत इसका खंडन किया. यूक्रेन के संकट में यूरोप की आवाज क्यों नहीं सुनाई देती लेकिन मामला ठंडा नहीं पड़ रहा है. ओलाफ शॉल्त्स सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) के नेता हैं. एसपीडी के ही पूर्वी चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर के रूस और रूसी कंपनियों के साथ अच्छे ताल्लुक रहे हैं. हाल ही में अपने भारत दौरे पर विवादित बयान देने की वजह से जर्मन नौसेना के शीर्ष अधिकारी को इस्तीफा देना पड़ा है.

लेकिन पूर्व चांसलर श्रोएडर अब भी उसी अधिकारी की तरह रूस की कार्रवाई को तर्कपूर्ण सा बता रहा हैं. यह बैकग्राउंड भी शॉल्त्स को परेशान कर रहा है. रूस के साथ नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन प्रोजेक्ट के कारण जर्मनी और अमेरिका के रिश्तों में पहले भी तल्खी दिख चुकी है. डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल में तो रिश्ते बेहद कमजोर पड़ गए. बाइडेन के व्हाइट हाउस में आने के बाद रिश्ते सुधरे जरूर हैं लेकिन कितने, इसका पता यूक्रेन संकट से चलेगा. अमेरिका और पूर्वी यूरोप के देश नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन का विरोध करते रहे हैं. अब यूक्रेन को हथियार न देने के कारण जर्मनी की आलोचना हो रही है. तेज होती आलोचनाओं के बीच अमेरिका रवाना होने से पहले शॉल्त्स ने सार्वजनिक टीवी चैनल जेडडीएफ से बात करते हुए कहा कि नाटो के लिए जितना पैसा जर्मनी देता है, उतना और यूरोप में कोई नहीं देता. शॉल्त्स के मुताबिक जर्मनी कुछ नहीं कर रहा है, ये कहना ठीक नहीं है. मुलाकात का माहौल पहले से ही तय है वॉशिंगटन में जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मुलाकात से पहले एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने जोर देते हुए कहा कि यूक्रेन के मामले जर्मनी की भूमिका अहम है. अमेरिकी अधिकारी ने यह भी कहा कि वे बर्लिन के साथ मिलकर यूक्रेन पर हमले की स्थिति में रूस पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों पर भी चर्चा कर रहे हैं.

पुतिन: अमेरिका सैन्य टकराव की ओर धकेलने की कोशिश कर रहा है चांसलर शॉल्त्स अमेरिका के बाद यूक्रेन और रूस का भी दौरा करने वाले हैं. फरवरी के तीसरे हफ्ते में कीव और मॉस्को पहुंचने से पहले शॉल्त्स लात्विया, लिथुएनिया और एस्टोनिया भी जाएंगे. यूक्रेन संकट से उपजते तनाव को कम करने के लिए अब फ्रांस भी पहले के मुकाबले ज्यादा सक्रिय हो चुका है. फिलहाल फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों मॉस्को में हैं. आने वाले दिनों में जर्मनी चांसलर से भी माक्रों की मुलाकात होगी. यूरोपीय संघ के सबसे ताकतवर दो देश जर्मनी और फ्रांस पोलैंड के राष्ट्रपति से भी बातचीत करेंगे. एक दूसरे पर दबाव बनाते रूस और नाटो रूसी सेना ने बीते कई हफ्तों से यूक्रेन को तीन तरफ से घेरा है.

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