पहाड़ों पर पैदल ही गांव-गांव घूम रहे कोरोना संकट में भूटान नरेश, लोगों को कर रहे जागरूक
फेसबुक पर वह अकसर अपनी यात्रा और लोगों से मुलाकात के बारे में अपडेट देते रहते हैं.
भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक (Jigme Khesar Namgyal Wangchuck) इन दिनों एक राजा के तौर पर नहीं बल्कि जनता के सेवक की भूमिका में हैं. कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों से त्रस्त जनता का हालचाल जानने के लिए वह कभी पैदल मीलों पहाड़ी क्षेत्र में चलते हैं तो कभी घोड़े की मदद से गांवों तक पहुंचते हैं. कोरोना संकट की शुरुआत से ही बीते 14 महीनों से भूटान नरेश कभी पैदल यात्रा करते हैं तो कभी कार से और कभी घोड़े की मदद से सुदूर गांवों तक पहुंचते हैं. यहां तक कि उन्हें खुद कई बार राजधानी थिम्पू में क्वारंटाइन होना पड़ा है. दरअसल भारत के पड़ोसी और महज 7 लाख की आबादी वाले इस देश में कोरोना का संक्रमण बीते कुछ वक्त में तेजी से बढ़ा है. पूर्वी हिमालयी देश भूटान के 41 वर्षीय नरेश इन दिनों लोगों को जागरूक करने में जुटे हैं. वह लोगों को बता रहे हैं कि कोरोना संकट से बचने के लिए उन्हें क्या उपाय करने चाहिए और किन नियमों का पालन करना चाहिए. भूटान के पीएम लोते शेरिंग ने कहा, 'किंग जब मीलों सफर करते हैं और लोगों तक पहुंचकर उन्हें जागरूक करते हैं तो इसका असर होता है. लोग उनकी बात को पूरे सम्मान और गंभीरता के साथ लेते हैं.' शेरिंग ने कहा कि उनकी मौजूदगी सिर्फ गाइडलाइंस जारी करने से कहीं ज्यादा है. पीएम शेरिंग ने कहा कि किंग की मौजूदगी लोगों को भरोसा देती है कि कोरोना के इस संकट में आप लोग अकेले नहीं हैं.