ढाका विश्वविद्यालय प्रोफेसर की हत्या केस में, चार इस्लामी आतंकियों को बांग्लादेशी अदालत ने सुनाई फांसी की सजा

बांग्लादेश में प्रतिबंधित आतंकी समूह जमात-उल-मुजाहिदीन के चार आतंकियों को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है।

Update: 2022-04-14 01:14 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बांग्लादेश में प्रतिबंधित आतंकी समूह जमात-उल-मुजाहिदीन के चार आतंकियों को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है। प्रोफेसर की हत्या के मामने में दो आतंकी अभी तक फरार हैं। अदालत ने पुलिस को भगोड़ों का पता लगाने का आदेश दिया है।

ढाका, प्रेट्र: बांग्लादेश की अदालत ने बुधवार को एक प्रतिबंधित इस्लामी समूह के चार आतंकवादियों को फांसी की सजा सुनाई है। इस मामले में दो आतंकी अभी तक फरार हैं। अदालत ने पुलिस को भगोड़ों का पता लगाने और उन्हें फांसी की सजा देने के लिए कदम उठाने का आदेश दिया। सजा पाए आतंकी प्रतिबंधित जमात-उल-मुजाहिदीन (जेएमबी) के सदस्य थे।
आतंकवादियों को मौत की सजा
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मोहम्मद अल मामुन ने ढाका विश्वविद्यालय के साहित्य के प्रोफेसर और लेखक हुमायूं आजाद की 18 साल पहले की गई हत्या के लिए आतंकवादियों को मौत की सजा सुनाई। बंगाली साहित्य के प्रोफेसर हुमायूं आजाद को फरवरी 2004 में एक पुस्तक मेले से घर जाते समय ढाका विश्र्वविद्यालय परिसर में चाकू मार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया गया था। पुलिस ने कहा कि तीन युवकों ने उन पर हमला किया और भागने के लिए दो बम विस्फोट भी किए। हुमायूं आजाद का शुरू में ढाका के संयुक्त सैन्य अस्पताल (सीएमएच) में इलाज किया गया था, जहां उनकी स्थिति में सुधार हुआ। बाद में वे आगे के इलाज के लिए जर्मनी गए, लेकिन कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई।
लंबे वक्त तक इलाज के बाद भी नहीं हुआ सुधार
आजाद के भाई ने शुरू में पुलिस में एक मामला दर्ज कराया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि अज्ञात हमलावरों ने उन्हें मारने की कोशिश की, लेकिन उनकी मौत के बाद यह मामला हत्या के मामले में बदल गया। जर्मन डाक्टर की रिपोर्ट और शव परीक्षण ने पुष्टि की कि इसी हमले की वजह से उनकी मौत हुई। जर्मन डाक्टर की रिपोर्ट और शव परीक्षण ने पुष्टि की कि ढाका में उन पर हुए हमले के कारण ही वास्तव में उनकी मृत्यु हुई थी।
लेखन से करते थे कट्टपंथियों की आलोचना
गौरतलब है कि आजाद अपने लेखन से कट्टपंथियों की आलोचना करते थे। उन्होंने कट्टर विचारों को चुनौती देने वाले अपने लेखन के कारण जेएमबी और अन्य उग्रवादियों और चरमपंथियों दुश्मनी मोल ली थी। हमले से कुछ दिन पहले, उन्होंने 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता से पहले कुछ पाकिस्तानियों की उनकी भूमिका के लिए आलोचनात्मक पुस्तक लिखी थी।
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