एस्ट्रोनॉट्स भारी सूट में पेशाब करने से लेकर खाने-पीने की करते हैं प्रैक्टिस, ऐसे दी जाती है मौत की ट्रेनिंग
एस्ट्रोनॉट्स को ऐसे दी जाती है मौत की ट्रेनिंग
इंसान ने पृथ्वी पर हर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज कर दी है. छोटी से छोटी हरकतों के पीछे की वजह जानने की ललक के कारण इंसान को कई तरह की जानकारी हो जाती है. लेकिन खोजी प्रवृति के इंसान को तब भी चैन नहीं मिला और उसने पृथ्वी के बाहर की दुनिया में खोजबीन शुरू की. एस्ट्रोनॉट्स द्वारा स्पेस में किये जाने वाले मिशन इसी बात के लिए होते हैं. स्पेस में कई कई महीने बिताकर एस्ट्रोनॉट्स वहां की कंडीशन को रिकॉर्ड करते हैं और वापस आकर इस बात का एनालिसिस करते है कि आखिर कैसे इंसान स्पेस में बस सकता है?
चाहे स्पेस में सब्जियां उगाना हो या फिर स्पेस में इंसान के रहने का तरीका ढूंढना, एस्ट्रॉनॉट्स हर काम के लिए पहले पृथ्वी पर ट्रेनिंग लेते हैं. इस ट्रेनिंग में उन्हें कई कड़े राउंड्स से गुजरना पड़ता है. पहले उन्हें पृथ्वी पर ही स्पेस जैसा माहौल दिया जाता है ताकि उन्हें बाहर की दुनिया की आदत हो जाए. एस्ट्रोनॉट बनना शायद कई लोगों को कूलेस्ट जॉब लगे लेकिन ये कोई बच्चों का खेल नहीं है. इस काम में जितनी मुश्किलें और चैलेंजेस हैं, उतने शायद ही किसी और जॉब में हो. इसके लिए एस्ट्रोनॉट्स को सालों की ट्रेनिंग दी जाती है.
मौत की करवाते हैं प्रैक्टिस
जिन लोगों को स्पेस मिशन के लिए चुना जाता है, आमतौर पर वो बेहद हेल्दी पर्सन होते हैं. ऐसे में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में उनकी मौत हो जाए, ऐसा बहुत कम ही होता है. कई स्पेस एजेंसीज ट्रेनिंग के दौरान एस्ट्रॉनॉट्स को मौत की ट्रेनिंग देते हैं. कनाडियाई एस्ट्रॉनॉट क्रिस हैडफील्ड ने पॉप्युलर साइंस को बताया कि कई एजेंसी उन्हें स्पेस में मौत की स्थिति आने की ट्रेनिंग देते हैं. हालांकि, नासा ऐसा नहीं करता. मौत की ट्रेनिंग में सिखाया जाता है है कि मरने के बाद डेड बॉडी के साथ क्या करना चाहिए. ज्यादातर बॉडीज को उनके स्पेससूट में ही पैक कर दिया जाता है ताकि वो जल्दी सड़ जाए. साथ ही साथ उसकी बदबू स्पेस क्राफ्ट में ना फैले.
पेशाब करने की भी मिलती है ट्रेनिंग
एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस की टफ स्थिति से जूझना सिखाया जाता है. इसमें कई कई हफ़्तों तक उन्हें पानी के अंदर रखा जाता है. जहां उन्हें भारी स्पेससूट में पानी में चलना सिखाया जाता है. एस्ट्रॉनॉट्स को स्पेस जैसा ही माहौल दिया जाता है. इसमें उन्हें पाइप में पेशाब करने से लेकर टॉयलेट के सारे ट्रिक्स सिखाए जाते हैं. एस्ट्रॉनॉट्स पाइप के अंदर पेशाब करते हैं, जो सीधे थैली में स्टोर होती है. अगर उन्हें पॉटी करनी होती है तो वो खुद को टॉयलेट सीट से बांध लेते हैं.