पाकिस्तान में अब सिविल नौकरियों की निगरानी करेगी सेना
जिसके कारण अब पाकिस्तानी सेना ही सिविल नौकरियों की निगरानी का जिम्मा उठाती नजर आएगी।
पाकिस्तान में सेना को अब आधिकारिक तौर पर सरकार में प्रमुख नागरिक नियुक्तियों और नियुक्तियों की देखरेख का काम सौंपा गया है। सेना की शक्तिशाली खुफिया शाखा इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) को आधिकारिक तौर पर स्पेशल वेटिंग एजेंसी (SVA) का नाम दिया गया है। जो पहले इस कार्य को करने वाले नागरिक इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) को भी मात दे देगी। बता दें कि यह सेना प्रमुख सहित सभी नियुक्तियों में कार्यपालिका की शक्तियों को कम करने का काम करता है।
पाकिस्तान की सरकार ने ऐसा कर के एक ऐसी प्रथा को कानूनी कवर दिया है जो पहले से ही मौजूद थी, लेकिन प्रोटोकॉल के हिस्से के रूप में औपचारिक नहीं की गई थी। स्थापना विभाग की अधिसूचना के अनुसार सिविल सेवक अधिनियम 1973 की धारा 25 की उप-धारा 1 द्वारा प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए अधिसूचना संख्या एसआरओ 120 (1)/1998 दिनांक 27 फरवरी, 1998 के साथ इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) को विशेष जांच एजेंसी के रूप में सूचित किया गया है।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कार्रवाई रही अटकलों का विषय
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सरकार की कार्रवाइ अटकलों का विषय रही है क्योंकि कार्यपालिका की कटौती और वास्तव में, विधायिका की भूमिका के बारे में आशंकाएं पहले ही व्यक्त की जा चुकी है। आशंका है कि अधिक से अधिक सैन्य कर्मियों, सेवारत और सेवानिवृत्त, जिनकी पहले से जांच की जा रही है, को नागरिक सेवाओं के लिए प्राथमिकता दी जा सकती है।
बता दें कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा नवंबर में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इसके मद्देनजर अभी से नए सैन्य प्रमुख की नियुक्ति की दौड़ शुरू हो गई है। वैसे तो संवैधानिक तौर पर पाकिस्तान में सेना प्रमुख की नियुक्ति प्रधानमंत्री करते हैं,
लेकिन शहबाज शरीफ की इस प्रक्रिया में भूमिका नगण्य रह सकती है। माना जा रहा है कि सेना खुद ही अपने अगले प्रमुख का चुनाव करेगी। इससे पाकिस्तान में सेना के दबदबे का पता चलता है। पाकिस्तान में कोई भी सत्ता प्रतिष्ठान या राजनीतिक दल सेना को दरकिनार कर नहीं चल सकता है।
गिरफ्तार होंगे पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना न सिर्फ यह तय करती है कि उसका अगला प्रमुख कौन होगा, बल्कि समस्त सरकारी कार्यों में भी बड़ी भूमिका निभाती है। इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए विपक्ष द्वारा जब मोर्चा खोला गया तो सेना तटस्थ हो गई थी, लेकिन माना जा रहा है कि अब वह यू टर्न लेती हुई खेल में वापसी का मन बना चुकी है। जर्जर अर्थव्यवस्था व बढ़ती महंगाई भी सेना के लिए चिंता का विषय है। जिसके कारण अब पाकिस्तानी सेना ही सिविल नौकरियों की निगरानी का जिम्मा उठाती नजर आएगी।