श्रीलंका के कोलंबो में सेना तैनात, हफ्तेभर में नया पीएम नियुक्त करने का वादा

संसद को दिए जाएंगे अधिक अधिकार

Update: 2022-05-12 04:11 GMT
कोलंबो, पीटीआइ। अपनी आजादी के बाद के सबसे भीषण आर्थिक संकट से निपटने में श्रीलंका सरकार की विफलता के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच बुधवार को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने पद छोड़ने से इन्कार कर दिया। हालांकि उन्होंने इसी हफ्ते नया प्रधानमंत्री और युवा कैबिनेट नियुक्त करने का वादा किया जिसमें राजपक्षे परिवार को कोई सदस्य शामिल नहीं होगा। इससे पहले हालात से निपटने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा बलों ने बख्तरबंद वाहनों में देशभर में गश्त की।
संसद को दिए जाएंगे अधिक अधिकार
राजधानी कोलंबो की सड़कों और उसके उपनगरों में सेना भी तैनात की गई है। सुरक्षा बलों के पास सार्वजनिक संपत्ति लूटने या नुकसान पहुंचाने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश हैं। पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात के बाद देर रात राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति गोटाबाया ने कहा कि नए प्रधानमंत्री और सरकार की नियुक्ति के बाद संविधान के 19वें संशोधन को मूर्त रूप देने के लिए एक संविधान संशोधन लाया जाएगा जिसके जरिये संसद को अधिक अधिकार दिए जाएंगे।
राजनीतिक दलों से बातचीत शुरू
राष्ट्रपति ने कहा कि देश को अराजकता की स्थिति में जाने से रोकने के लिए उन्होंने राजनीतिक दलों से बातचीत शुरू कर दी है। उन्होंने वादा किया कि वह देश को आगे ले जाने के लिए नए प्रधानमंत्री और सरकार को नए कार्यक्रम शुरू करने का अवसर देंगे। नई सरकार के पास 225 सदस्यीय संसद में बहुमत होगा।
उपद्रवियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश
मालूम हो कि राष्ट्रपति के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से देश में कोई सरकार नहीं है। हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने पुलिस और तीनों सेनाओं को हिंसा करने वालों के खिलाफ कड़ाई करने के निर्देश दिए हैं।
राजनीतिक स्थायित्व की मांग
दरअसल, दिन में श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर नंदलाल वीरासिंघ ने धमकी दी थी कि अगर देश के नेता जल्द ही राजनीतिक स्थायित्व लाने में विफल रहे तो वह इस्तीफा दे देंगे। उनका कहना था कि राजनीतिक स्थायित्व के बिना इस बात के कोई मायने नहीं है कि केंद्रीय बैंक का गवर्नर कौन है।
सैन्‍य शासन लागू नहीं करने की मांग
इस बीच, देश में जारी राजनीतिक और आर्थिक संकट में सेना की बढ़ती भूमिका को लेकर रक्षा सचिव जनरल (सेवानिवृत्त) कमल गुणेरत्ने ने स्पष्ट किया कि श्रीलंका में कभी सैन्य शासन लागू नहीं होगा और वह यह पूरी जिम्मेदारी से कह रहे हैं।
राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने की मांग
गुणेरत्ने के अनुसार महिंदा राजपक्षे त्रिंकोमाली नौसेना अड्डे पर हैं। खतरे को देखते हुए उन्हें नौसैनिक अड्डे पर पहुंचाया गया था। हालात सामान्य होने पर उन्हें उनके आवास या उनकी पसंद के स्थान पर पहुंचा दिया जाएगा। वह पूर्व राष्ट्रपति भी हैं और पर्याप्त सुरक्षा के अधिकारी हैं। मालूम हो कि सरकार विरोधी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए विपक्षी दल महिंदा की गिरफ्तारी और अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन के लिए उनके बड़े भाई गोटाबाया से राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं।
जनता से हिंसा खत्म करने का आग्रह
राष्ट्र के नाम संबोधन से पहले राष्ट्रपति गोटाबाया ने जनता से हिंसा खत्म करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि यह समय श्रीलंका के नागरिकों के लिए एकजुट होने का है। राष्ट्रपति ने राजनीतिक गतिरोध खत्म करने और नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए सत्तारूढ़ श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) के असंतुष्टों और मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालावेगाया (एसजेबी) के नेताओं से बात करने की बात भी कही। देश में बुधवार को भी कफ्र्यू जारी रहा। वहीं हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर नौ हो गई जिनमें दो पुलिसकर्मी शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव व मानवाधिकार प्रमुख ने की हिंसा की निंदा
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने श्रीलंका में हिंसा पर चिंता जताई है। उन्होंने सभी पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के जरिये मौजूदा संकट का समाधान तलाशने का आह्वान किया। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की प्रमुख मिशेल बैचलेट ने भी हिंसा की निंदा करते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमलों की निष्पक्ष जांच की मांग की। पोप फ्रांसिस ने सरकार से अनुरोध किया कि वह लोगों की उम्मीदों को सुने और मानवाधिकारों व लोगों की स्वतंत्रता का सम्मान करे।
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