विरोध प्रदर्शन को कुचल रही सेना, चार की मौत के बाद मरने वालों की संख्या 70 पार
सोशल मीडिया पर कई खबरें देखने को मिली हैं
म्यांमार में सेना के तख्तापलट (Myanmar Coup by Army) के बाद से हो रहे प्रदर्शनों (Protests) को रोकने के लिए सेना अब लगातार हिंसा (Violence) का इस्तेमाल कर रही है, जिससे हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. म्यांमार में तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई में शनिवार को चार प्रदर्शनकारियों (Protesters) की मौत हो गई. म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मंडाले (Mandalay) में तीन जबकि देश के दक्षिण-मध्य में स्थित प्याय कस्बे में एक व्यक्ति की मौत होने की खबर है. दोनों स्थानों पर लोगों की मौत होने के बारे में सोशल मीडिया (Social Media) पर कई खबरें देखने को मिली हैं.
म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ टॉम एंड्रयूज ने गुरुवार को कहा था कि 'विश्वसनीय जानकारी' के अनुसार म्यांमार में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में अब तक कम से कम 70 लोगों की मौत हो चुकी है. गौरतलब है कि सेना द्वारा एक फरवरी को आंग सान सू की की सरकार का तख्तापलट करने के बाद से देश में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनकारी हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा करने की मांग कर रहे हैं.
गुरुवार को 10 प्रदर्शनकारियों की मौत
इससे पहले गुरुवार को खबर आई थी कि म्यांमार के सुरक्षा बलों ने पिछले महीने हुए सैन्य तख्तापलट के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर घातक बल प्रयोग रोकने की संयुक्त राष्ट्र की अपील को दरकिनार कर कम से कम 10 प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई और उनकी मौत हो गई.
स्थानीय मीडिया में आईं खबरों और सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया था कि मध्य मेगेवे क्षेत्र के एक कस्बे म्येंग में छह जबकि यंगून, मंडाले, बोगा और तोंगू में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है. इससे पहले भी सुरक्षा बल प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चला चुके हैं, जिसमें कई लोगों की मौत हो चुकी है.
विरोध प्रदर्शन को कुचल रही सेना
प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए उन पर आंसू गैस, रबर की गोलियों और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके अलावा कई प्रदर्शनकारियों की बर्बरता से पिटाई भी की गई. न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा बल ने बुधवार को सर्वसम्मति से सैन्य तख्तापलट को वापस लेने की अपील की और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा की कड़ी निंदा की थी.