अमेरिकी दूतावासों पर हमले की 24वीं बरसी पर बोले एंटनी ब्लिंकन, कहा- 'हमारे संकल्प को दर्शाती है अल जवाहिरी की मौत'

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पूर्वी अफ्रीका में अमेरिकी दूतावासों पर 1998 में हुए बम धमाकों की 24वीं बरसी पर बयान दिया।

Update: 2022-08-08 04:47 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पूर्वी अफ्रीका में अमेरिकी दूतावासों पर 1998 में हुए बम धमाकों की 24वीं बरसी पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने अल कायदा के प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है। जो 1998 के हमलों का मास्टरमाइंड था। अमेरिका ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि देश आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।

अल-जवाहिरी के खिलाफ अमेरिका ने की निर्णायक कार्रवाई
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि इन जघन्य हमलों के बाद अमेरिका और हमारे सहयोगियों ने साहस और दृढ़ संकल्प के साथ आतंकवाद का सामना किया। हमें डराने के लिए किए गए हमलों ने केवल हमारे संकल्प को मजबूत किया और इस महीने की शुरुआत में अमेरिका ने अल कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की। अमेरिका ने साफ कर दिया है कि हम अपने दृढ़ संकल्प पर कार्य करने के लिए तैयार हैं, जो समय के साथ कम नहीं होता है।
लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है अमेरिका- ब्लिंकन
ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देता है। जो 24 साल पहले एक हिंसक बम धमाकों में मारे गए थे। इन हमलों के शिकार हमारी जिंदगी से कभी दूर नहीं हो सकते और आज हमारे विचार भी उन प्रियजनों के साथ हैं, जिन्हें उन्होंने पीछे छोड़ दिया है। आज अमेरिका महाद्वीप के देशों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि हम उन साझा चुनौतियों का सामना कर सकें, जिनमें आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद शामिल हैं। हम यह प्रदर्शित करना जारी रखेंगे कि जो लोग हमारे देशों के बेहतर भविष्य के रास्ते में खड़े होना चाहते हैं, वे कभी सफल नहीं हो पाएंगे।
7 अगस्त 1998 को हुए थे बम धमाके
गौरतलब है कि 7 अगस्त 1998 को नैरोबी में अमेरिकी दूतावासों और अफ्रीका में तंजानिया के डार एस सलाम के सामने बम धमाके हुए थे। जानकारी के अनुसार, 12 अमेरिकियों सहित विस्फोटों में दो सौ चौबीस लोग मारे गए और 4,500 से अधिक लोग घायल हुए थे। ये हमले सीधे अल कायदा से जुड़े थे। मोहम्मद सादिक ओदेह और मोहम्मद रशीद दाउद अल-ओहली को केन्या में बम विस्फोटों के 20 दिनों के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया और उसके तुरंत बाद अमेरिका को सौंप दिया गया। दोनों को बमबारी में उनकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया और अक्टूबर 2001 में सजा सुनाई गई।
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