चीन की एक और खौफनाक साजिश आई सामने, मौत से पहले ही कैदियों के निकाल ले रहा दिल, 'जल्लाद' सर्जन कर रहे ये घिनौना अपराध
चीन से एक खौफनाक जानकारी सामने आई है. यहां पर मौत की सजा पाने वाले कैदियों के दिलों को ट्रांसप्लांट के लिए निकाला जा रहा है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन (China) से एक खौफनाक जानकारी सामने आई है. यहां पर मौत की सजा पाने वाले कैदियों के दिलों को ट्रांसप्लांट (China taking Prisoners hearts) के लिए निकाला जा रहा है. एक अकादमिक पेपर में चीन के इस घिनौने राज से पर्दा उठा है. इसमें बताया गया है कि सैकड़ों चीनी सर्जन और चिकित्सा कर्मी कैदियों के दिलों को निकाल रहे हैं. दरअसल, इन कैदियों को मृत घोषित किए जाने से पहले ही शरीर के अंग को निकाला जा रहा है. शरीर के अंगों के प्रत्यारोपण को लेकर बकायदा अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देश बनाए गए हैं. इसके तहत कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति के अंगों को निकालने के वक्त उसकी मौत नहीं होना चाहिए.
हालांकि, अमेरिकन जर्नल ऑफ ट्रांसप्लांटेशन में इस सप्ताह प्रकाशित ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (Australian National University) के नए रिसर्च से पता चलता है कि चीनी सर्जनों द्वारा अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है. रिपोर्ट के लिए चीनी वैज्ञानिक पत्रिकाओं में 2,838 रिपोर्टों की फोरेंसिक समीक्षा की गई है. इसके बाद 71 ऐसे मामलों का पता चला है, जहां सर्जनों ने 'ब्रेन डेड' से पहले ही मरीजों के दिल या फेफड़ों को निकाल लिया. मेडिकल की भाषा में ब्रेन डेड (Brain Dead) का मतलब उस अवस्था से है, जहां पर एक मरीज वेंटिलेटर के बिना जिंदा नहीं रह सकता है.
चीन में बैन किया जा चुका है कैदियों के अंगों को निकालना
अल जजीरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सभी 71 मामले 1980 से 2015 के बीच सामने आए. 2015 वही साल है, जब चीन में आधिकारिक तौर पर मौत की सजा काट रहे कैदियों के अंगों को निकालने को बैन कर दिया गया. दरअसल, इससे पहले तक चीन में अधिकतर ट्रांसप्लांट मामलों के लिए शरीर के अंगों को मौत की सजा काट रहे कैदियों के भीतर से निकाला जाता रहा है. इसके पीछे की वजह ये है कि बहुत ही कम लोग स्वेच्छा से अंग दान करने के लिए आगे आए हैं. चीन में पहले भी इस तरह के घिनौने अपराधों का खुलासा हो चुका है. चीन के गिनती मानवाधिकार के हनन करने वाले मुल्क के तौर पर भी होती है.
चीनी सर्जन और मेडिकल कर्मी खुद बने जल्लाद
अकादमिक पेपर के सह-लेखक और पीएचडी शोधकर्ता मैथ्यू रॉबर्टसन के अनुसार, उन्होंने ये पाया कि चीनी सर्जनों ने खुद कैदियों को मौत की सजा दी होगी. ये सजा फायरिंग स्क्वाड या घातक इंजेक्शन के जरिए दी गई होगी. अगर इस दौरान किसी तरह से कैदी की सांस चल भी रही होगी, तो अंगों को निकालने के दौरान उसकी खुद-ब-खुद मौत हो गई होगी. रॉबर्टसन ने एक बयान में कहा, हमने पाया कि सर्जन और मेडिकल कर्मचारी सरकार की ओर से खुद ही जल्लाद बन गए और उन्होंने मौत देने के लिए दिलों को निकाला. बता दें कि चीन में मौत की सजा को काफी गुप्त रखा जाता है. लेकिन यहां पर बड़े पैमाने पर ये सजा दी जाती है.