पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह की अध्यक्षता में अफगान सरकार को जारी रखने की घोषणा की
देश से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था।
तालिबान के कब्जे के बाद युद्धग्रस्त राष्ट्र छोड़ने वाले इस्लामिक रिपब्लिक आफ अफगानिस्तान के पूर्व अधिकारियों ने पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह की अध्यक्षता में अफगान सरकार को जारी रखने की घोषणा की है। खामा न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, स्विस में अफगान दूतावास द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि इस्लामिक रिपब्लिक आफ अफगानिस्तान की एकमात्र वैध सरकार है, जो लोगों के वोटों से चुनी गई है और कोई अन्य सरकार किसी वैध सरकार की जगह नहीं ले सकती है।
बयान में कहा गया है, 'अशरफ गनी के भागने और अफगान राजनीति से उनके हटने के बाद, उनके पहले उपराष्ट्रपति (अमरुल्लाह सालेह) देश का नेतृत्व करेंगे। बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान पर बाहरी शक्तियों का कब्जा है। देश के बुजुर्गों के साथ परामर्श के बाद उन्होंने निर्वासन में सरकार की घोषणा करने का फैसला किया।
बयान के अनुसार, सरकार की तीन शक्तियां कार्यकारी, न्यायिक और विधायी जल्द ही सक्रिय हो जाएंगी। इसके साथ ही उन्होंने अहमद मसूद के नेतृत्व में तालिबान विरोधी मोर्चा को अपने समर्थन की भी घोषणा की और कहा कि अफगानिस्तान के सभी दूतावास और वाणिज्य दूतावास सामान्य रूप से कार्य करेंगे।
यह बयान पिछली सरकार के नेताओं, राजनीतिक नेताओं और अन्य राजनेताओं द्वारा लिखा और जारी किया गया है, लेकिन इनमें से किसी के नाम का खुलासा नहीं किया गया है। तालिबान ने मंगलवार को कहा था कि वे मुहम्मद जहीर शाह के युग से अस्थायी रूप से संविधान को अपनाएंगे, जिसे 57 साल पहले अनुमोदित किया गया था। देश से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था।