नाराज फ्रांस ने एक के बाद एक कई ऐसे कड़े कदम उठाए, अब बाइडन को मैक्रों नहीं दे रहे भाव

मुझे ऑस्ट्रेलियाई हितों को प्राथमिकता देने के फैसले पर कोई पछतावा नहीं है" रिपोर्टः विवेक कुमार

Update: 2021-09-20 07:14 GMT

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के गठबंधन से नाराज फ्रांस ने एक के बाद एक कई ऐसे कड़े कदम उठाए हैं जो पश्चिमी देशों की एकता में दरार की तरह दिखाई दे रहे हैं.अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूतों को वापस बुलाने के बाद अब फ्रांस ने ब्रिटेन के साथ होने वाली विदेश मंत्री स्तरीय बैठक रद्द कर दी है. यह बैठक इसी हफ्ते होनी थी लेकिन समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि ऑस्ट्रेलिया के साथ ब्रिटेन और अमेरिका के समझौते से नाराज फ्रांस ने बैठक रद्द करने का फैसला किया. बताया जाता है कि फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने अपने ब्रिटिश समकक्ष बेन वॉलेस से न मिलने का फैसला खुद किया. इस बारे में ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. देखिएः चीनी पनडुब्बियों को टक्कर देगी भारत की एंटी-सबमरीन इस बीच फ्रांस सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा है कि अमेरिका और फ्रांस के नेताओं के बीच आने वाले दिनों में फोन पर बातचीत होगी. क्यों नाराज है फ्रांस? फ्रांस ऑस्ट्रेलिया के साथ करीब 90 अरब डॉलर का समझौता रद्द किए जाने से नाराज है.

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और युनाइटेड किंग्डम ने मिलकर एक नया रक्षा समूह बनाया है जो विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित होगा. इस समूह के समझौते के तहत अमेरिका और ब्रिटेन अपनी परमाणु शक्तिसंपन्न पनडुब्बियों की तकनीक ऑस्ट्रेलिया के साथ साझा करेंगे. इस कदम को क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता के बरअक्स देखा जा रहा है. नए समझौते के तहत अमेरिका परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी बनाने की तकनीक ऑस्ट्रेलिया को देगा जिसके आधार पर ऐडिलेड में नई पनडुब्बियों का निर्माण होगा. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के एक प्रवक्ता ने बताया कि नए समझौते के चलते फ्रांस की जहाज बनाने वाली कंपनी नेवल ग्रुप का ऑस्ट्रेलिया के साथ हुआ समझौता खत्म हो गया है. नेवल ग्रुप ने 2016 में ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौता किया था जिसके तहत 40 अरब डॉलर की कीमत की पनडुब्बियों का निर्माण होना था, जो ऑस्ट्रेलिया की दो दशक पुरानी कॉलिन्स पनडुब्बियों की जगह लेतीं.
फ्रांस ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर पीठ में छुरा भोंकने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह अपने पूर्ववर्ती डॉनल्ड ट्रंप की तरह व्यवहार कर रहे हैं. फ्रांस के विदेश मंत्री ला ड्रियां ने एक रेडियो स्टेशन से कहा, "यह क्रूर है, एकतरफा है और अप्रत्याशित है. यह फैसला मुझे उसी सब की याद दिलाता है जो ट्रंप किया करते थे" ऑस्ट्रेलिया को पछतावा नहीं फ्रांस का दावा है कि इस समझौते से पहले उससे सलाह-मश्विरा नहीं किया गया. फ्रांस के विदेश मंत्री ज्याँ-इवेस ला ड्रिआँ ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया ने आकुस के ऐलान से जुड़ीं अपनी योजनाओं के बारे में उनके देश को सिर्फ एक घंटा पहले बताया. टीवी चैनल फ्रांस 2 को ला ड्रिआँ ने कहा, "असली गठजोड़ में आप एक दूसरे से बात करते हैं, चीजें छिपाते नहीं हैं. आप दूसरे पक्ष का सम्मान करते हैं और यही वजह है कि यह एक असली संकट है" जानेंः बढ़ रही है परमाणु हथियारों की संख्या हालांकि ऑस्ट्रेलिया का कहना है कि उसने कई महीने पहले समझौते को लेकर फ्रांस से अपनी चिंताएं साझा की थीं.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने माना है कि उन्होंने आकुस के ऐलान से कुछ घंटे पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति से बात करने की कोशिश की थी. उन्होंने कहा कि उन्होंने बुधवार रात करीब 8.30 बजे इमानुएल माक्रों को फोन किया था. हालांकि दोनों के बीच बातचीत हुई या नहीं, यह उजागर नहीं किया गया है. समाचार चैनल एबीसी के मुताबिक ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा, "उनके पास यह जानने की हर संभव वजह थी कि हम हमलावर श्रेणी की पनडुब्बी की क्षमताओं को लेकर इसलिए चिंतित थे क्योंकि यह हमारे रणनीतिक हितों पर खरी नहीं उतर रही थी. मुझे ऑस्ट्रेलियाई हितों को प्राथमिकता देने के फैसले पर कोई पछतावा नहीं है" रिपोर्टः विवेक कुमार 


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