यूक्रेन से जंग के बीच रूस के इन 2 मित्र देशों में भड़की जंग, 100 सैनिकों की मौत

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 6 महीने से चल रही जंग का अभी तक कोई स्पष्ट नतीजा सामने नहीं आया है. इसी बीच रूस के 2 मित्र देशों आजरबैजान और आर्मीनिया में जंग (Azerbaijan-Armenia War) भड़क गई है. इस जंग में दोनों ओर से 100 से ज्यादा सैनिक मारे गए हैं

Update: 2022-09-14 01:09 GMT

 रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 6 महीने से चल रही जंग का अभी तक कोई स्पष्ट नतीजा सामने नहीं आया है. इसी बीच रूस के 2 मित्र देशों आजरबैजान और आर्मीनिया में जंग (Azerbaijan-Armenia War) भड़क गई है. इस जंग में दोनों ओर से 100 से ज्यादा सैनिक मारे गए हैं, वहीं सैकड़ों घायल हुए हैं. खुद युद्ध में फंसे रूस ने दोनों देशों से सीजफायर का आह्वान किया है. हालांकि उसकी अपील का दोनों देशों पर कोई असर नहीं हुआ है. इस मामले में भारत की प्रतिक्रिया भी सामने आई है.

दोनों ओर से करीब 100 सैनिकों की मौत

रिपोर्ट के मुताबिक आर्मीनिया और आजरबैजान की सीमा पर चल रही लड़ाई (Azerbaijan-Armenia War) में दोनों ओर से करीब 100 सैनिकों की मौत हो गई है. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रही दुश्मनी के और गहरा होने की आशंका बढ़ गई है. आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान ने मंगलवार को कहा कि आजरबैजान की ओर से देर रात किए गए हमलों में 49 आर्मीनियाई सैनिकों की मौत हो गई. वहीं आजरबैजान ने कहा है कि झड़प में उसके भी 50 सैनिक मारे गए हैं.

दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप के दौर

आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, आजरबैजान की सेना ने तोपों और ड्रोन से उसके सैनिकों पर हमले किए. मंत्रालय ने कहा कि संघर्ष विराम के लिए रूस की ओर से किए गए मध्यस्थता के प्रयास के बावजूद दिन में लड़ाई जारी रही. इलाके में गोलाबारी थोड़ी कम जरूर हुई है लेकिन आजरबैजान के सैनिक अब भी आर्मीनियाई क्षेत्र में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.

उधर आजरबैजान का कहना है कि उसने आर्मीनिया की ओर से सोमवार देर रात और मंगलवार सुबह किए गए हमलों के जवाब में ये कार्रवाई की. आजरबैजान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि आर्मीनियाई आर्मी ने उसके तीन जिलों में सेना की चौकियों पर गोलीबारी की. साथ ही इन इलाकों में बारुदी सुरंगें भी बिछाईं गईं. मंत्रालय ने कहा कि झड़प में उसके जवान भी हताहत हुए और बदले में कड़ी जवाबी कार्रवाई की गई.

भारत ने मामले में दी प्रतिक्रिया

इस बीच, भारत ने मामले में प्रतिक्रिया देते हुए दोनों देशों से आक्रमकता (Azerbaijan-Armenia War) खत्म करने और तत्काल संघर्ष विराम करने की अपील की है. भारत ने कहा कि सैन्य संघर्ष से किसी भी समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत का विश्वास है कि द्विपक्षीय विवादों का समाधान बातचीत और कूटनीति से होना चाहिए.

अरिंदम बागची ने कहा, 'हमने 12 से 13 सितंबर के बीच नागरिकों की बस्तियों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने समेत आर्मीनिया-आजऱबैजान सीमा पर हमलों की रिपोर्ट देखी है. हम आक्रामक पक्ष से इन हमलों को तुरंत रोकने की अपील करते हैं.'

किस मुद्दे पर जंग में उलझे दोनों देश

बताते चलें कि आजरबैजान और आर्मीनिया के बीच नागोर्नो-काराबाख को लेकर दशकों से संघर्ष (Azerbaijan-Armenia War) चल रहा है. नागोर्नो-काराबाख आजरबैजान का हिस्सा है, लेकिन इस इलाके में आर्मीनियाई मूल के लोगों की आबादी बहुमत में है. वर्ष 1994 में अलगाववादी युद्ध समाप्त होने के बाद से यह इलाका आर्मीनिया की ओर से समर्थित बलों के नियंत्रण में है. इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच वर्ष 2020 में 6 सप्ताह तक युद्ध भी हुआ था, जिसमें दोनों ओर से 6,600 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.

रूस की मध्यस्थता भी नहीं आई काम

इसके बाद रूस की मध्यस्थता में दोनों देशों के बीच संघर्षविराम लागू हुआ. समझौते के तहत क्षेत्र में लगभग 2,000 रूसी सैनिक शांति सैनिकों के रूप में तैनात हैं. रूस और आर्मीनिया की आपसी रक्षा संधि है, जिसके तहत एक देश पर हमला होने पर वह दोनों पर हमला माना जाएगा. ऐसे में आर्मीनिया को बचाने की जिम्मेदारी रूस पर आ जाती है. वहीं आजरबैजान के साथ भी रूस के अच्छे संबंध है. आजरबैजान वर्ष 1991 तक रूस का हिस्सा रह चुका है.


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