श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट के बीच कोलंबो में लोग सड़कों पर उतरे, राष्ट्रपति से इस्तीफे की मांग

श्रीलंका में दिनों दिन हालात और बदतर होते जा रहे हैं. गंभीर आर्थिक संकट से लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है.

Update: 2022-04-15 05:08 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। श्रीलंका में दिनों दिन हालात और बदतर होते जा रहे हैं. गंभीर आर्थिक संकट से लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है. गुरुवार को भारी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे. महंगाई बढ़ने और उपयोगी सामानों की कमी को लेकर लोगों ने सरकार के विरोध में राजधानी कोलंबो में प्रदर्शन किया. लोगों का आरोप है कि देश में लगातार ईंधन की कमी है और बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है. वहीं खाने पीने की चीजों की कीमतें भी आसमान छू रही है. सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे लोगों ने एक बार फिर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से इस्तीफे की मांग की. साथ ही प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और कुशासन के आरोप भी मढ़े.

कोलंबो में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
श्रीलंका में मौजूदा दौरा में आर्थिक हालात इतने खराब है कि लोगों के सामने सड़कों पर उतरने की मजबूरी है. कोलंबो में सड़कों पर गाड़ियों का लंबा काफिला दिखा. जिसके बाद ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा हो गई. कोलंबो श्रीलंका की मार्क्सवादी पार्टी, जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) अगले हफ्ते राजपक्षे सरकार को सत्ता से बेदखल करने का आह्वान करते हुए एक विशाल मार्च निकालने जा रही है. जेवीपी के महासचिव तिलविन सिल्वा का कहना है कि देश के इतिहास में ये सबसे बड़ा मार्च होगा जो 17 से लेकर 19 अप्रैल तक आयोजित किए जाएंगे. उन्होंने लोगों से मार्च को सफल बनाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि जनशक्ति के जरिए इस भ्रष्ट सरकार को उखाड़ फेकेंगे.
कोलंबो में आर्थिक संकट के बीच महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर
उधर, विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव और सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. गौरतलब है कि श्रीलंका आजादी के बाद से अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. देश में महंगाई चरम पर है. वही डीजल और पेट्रोल की भारी किल्लत है. कई घंटों तक लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. इससे पहले सरकार ने विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए इस महीने की शुरुआत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया था.
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