अमेरिका का वरदान: यूक्रेन के जैवलिन युद्ध से घबराया रूस, पुतिन की सेना में मचाई तबाही
कीव: रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia-Ukraine War) कब रुकेगा ये किसी को नहीं पता है. अमेरिका समेत कई देश रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा चुके हैं, लेकिन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है. हर किसी को लग रहा है कि अब इस युद्ध में यूक्रेन की हार निश्चित है और राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की को हथियार डाल देने चाहिए और रूस की सभी मांगों को मान लेना चाहिए.
हालांकि, एक तरफ यूक्रेन के हथियार डालने पर जोर दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ पुतिन को यूक्रेन के J फैक्टर का डर सता रहा है.
जे का अर्थ है अमेरिकी जेवलिन मिसाइल. युद्ध में यूक्रेन की मदद के लिए आगे आए अमेरिका ने उसे 10 करोड़ की मदद का ऐलान किया है. अमेरिका ने यूक्रेन को जेवलिन हथियार मुहैया कराए हैं. अमेरिका और नाटो रूस से सीधे लड़ाई नहीं लड़ना चाहते हैं इसीलिए वो यूक्रेन को जेवलिन मिसाइल देकर यूक्रेन को मजबूत बना रहे हैं. ये हथियार मिलने के बाद यूक्रेन एक बार फिर खुद को मजबूत स्थिति में पा रहा है और रूसी सेना को निशाना बना रहा है.
इस मिसाइल के जरिए यूक्रेनी सेना ने रूस की सेना पर खूब कहर बरपाया है और उनके कई टैंक नष्ट कर दिए हैं. सैन्य विशेषज्ञ भी इस बात को मान रहे हैं कि अमेरिका में बने इस हल्के लेकिन घातक हथियार ने यूक्रेन के सैनिकों की रूसी टैंकों और तोपखाने को भारी नुकसान पहुंचाने में काफी मदद की है. रूसी सैनिक जैसे-जैसे कीव की तरफ बढ़ रहे हैं, वैसे वैसे ही यूक्रेनी सेना ने इसका इस्तेमाल तेज कर दिया है. यूक्रेनी सैनिकों ने जेवलिन मिसाइल हमले का ऐसा चक्रव्यूह रचा कि यही टैंक, रूसी सैनिकों की कब्र बन गए हैं.
यूक्रेन द्वारा जेवलिन मिसाइल का इस्तेमाल जिस स्तर पर किया जा रहा है उसे देखकर माना जा रहा है कि जल्द ही यूक्रेन में घुसी रूसी सेना तबाह हो जाएगी.
जेवलिन अमेरिका में बनी हुई एक एंटी टैंक मिसाइल है. ये मिसाइल वज़न में हल्की होने की वजह से कंधे पर रखकर चलाई जाती है. इसके मिसाइल लॉन्चर का वजन 11 लेकर 24 किलोग्राम तक होता है. इस लॉन्चर में डे-नाइट विजन भी होता है. जैवलिन मिसाइल की सबसे खासियत ये है कि ये टारगेट का पीछा करके उसका खात्मा करती है. इसकी यही खासियत इसे जमीनी लड़ाई में सबसे असरदार बनाती है.
जेवलिन मिसाइलों से दो तरह के हमले किए जाते हैं. पहला किसी ड्रोन या कम ऊंचाई वाले लड़ाकू विमान को मार गिराने के लिए. दूसरा है जमीनी लड़ाई में टैंक, या बख्तरबंद गाडियों पर सीधा निशाना लगाकर.