अफगानिस्तान की आर्थिक मदद करेगा अमेरिका, 470 करोड़ रुपये का किया ऐलान, संयुक्त राष्ट्र और न्यूजीलैंड ने भी किया एलान

तालिबान की अंतरिम सरकार के गठन के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान के लोगों की आर्थिक मदद करने का एलान किया है.

Update: 2021-09-14 02:01 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। तालिबान की अंतरिम सरकार के गठन के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान के लोगों की आर्थिक मदद करने का एलान किया है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉम्पसन-ग्रीनफील्ड ने कहा है कि अमेरिका अफगानिस्तान की जनता के लिए 64 मिलियन डॉलर (करीब 470 करोड़ रुपये) की मानवीय सहायता देने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति गंभीर है. ऐसी स्थिति में अमेरिका 64 मिलियन डॉलर की मदद देने का वादा करता है.

अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉम्पसन-ग्रीनफील्ड ने अपने ट्वीट में लिखा, ''मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि अमेरिका अफगानिस्तान के लोगों के लिए नई मानवीय सहायता के रूप में 64 मिलियन डॉलर दे रहा है. यह नया वित्त पोषण यूनाइटेड नेशन और अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के काम का समर्थन करेगा. हम अन्य देशों से भी एकजुटता दिखाने का आग्रह करते हैं."
अमेरिका से पहले संयुक्त राष्ट्र प्रमुख, न्यूजीलैंड, चीन, जर्मनी भी अफगानिस्तान को आर्थिक मदद देने का एलान कर चुके हैं. हालांकि भारत की ओर से अभी एसी कोआ घोषणा नहीं हुई है.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने अफगानिस्तान को दो करोड़ अमेरिकी डॉलर देने की घोषणा की
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरेस ने सोमवार को अफगानिस्तान में मानवीय अभियान का समर्थन करने के लिए दो करोड़ अमेरिकी डॉलर के आवंटन की घोषणा की. युद्धग्रस्त देश में 'वास्तविक' अधिकारियों ने लोगों तक सहायता पहुंचाने के लिए सहयोग करने का 'वादा' किया है. उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान के लोगों को एक जीवन रेखा की जरूरत है. दशकों के युद्ध, पीड़ा और असुरक्षा के बाद वे शायद अपने सबसे खतरनाक समय का सामना कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अब उनके साथ खड़े होने का समय है.'
चीन ने पहले ही 200 मिलियन यूआन (31 मिलियन डॉलर) की आर्थिक मदद देने की घोषणा की थी. वहीं न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री नानैया महुता ने सोमवार को कहा कि अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के रूप में 3 मिलियन डॉलर (2 मिलियन डॉलर) देने की घोषणा की है. महुता ने एक बयान में कहा, अफगानिस्तान में महत्वपूर्ण मानवीय आवश्यकता है, इस संकट से महिलाओं और लड़कियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.


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