अमेरिका संभालेगा कतर के जरिए अफगानिस्तान में काम, दूतावास खोलने की जल्दी नहीं

अमेरिका और कतर ने अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों को लेकर एक समझौते पर साइन किया है। अब अमेरिका कतर के जरिए अफगानिस्तान में काम करेगा।

Update: 2021-11-13 06:20 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिका और कतर ने अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों को लेकर एक समझौते पर साइन किया है। अब अमेरिका कतर के जरिए अफगानिस्तान में काम करेगा। काबुल में अमेरिकी दूतावास बंद होने के बाद तालिबान और अफगानिस्तान के आम लोगों से जुड़ने का यह अमेरिका का सीधा तरीका होगा। पॉलिटिकल एनालिस्ट्स इसे कतर की कूटनीतिक जीत की तरह देख रहे हैं जो अफगानिस्तान को लेकर अमेरिका के प्रमुख सहयोगी के तौर पर उभरा है।

यह समझौता 31 दिसंबर से प्रभावी होगा। इसके तहत कतर अफगानिस्तान स्थित अपने दूतावास से कुछ कर्मचारियों को अमेरिकी विभाग को समर्पित करेगा और दोहा में अमेरिकी विदेश विभाग कतर से साथ नजदीकी से काम करेगे।
अमेरिका के इस कदम को तालिबान के साथ जुड़ने की तरह देखा जा रहा है। अमेरिका काबुल में दूतावास खोलने की जल्दी में नहीं है क्योंकि इसे तालिबान शासन को मान्यता देने जैसा हो सकता है। यही कारण है कि अमेरिका ने बीच का रास्ता निकाला है। यह समझौता ऐसे वक्त में हुआ है जब अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश इस बात से जूझ रहे हैं कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद कट्टरपंथियों के साथ कैसे जुड़ना है।
अफगानिस्तान मसले पर अमेरिकी डिप्लोमैट थॉमस वेस्ट ने 11 नवंबर को इस्लामाबाद में तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के साथ पाकिस्तान, रूस और चीन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है। बता दें कि पाकिस्तान और चीन जैसे देश अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद से तालिबान को कई तरह से सहयोग कर रहे हैं।
कतर के विदेश मंत्री अल थानी ने कहा है कि अफगानिस्तान को मदद की सख्त जरूरत है। खासकर तब जब सर्दी आ रही है। अफगानिस्तान को छोड़ना एक बड़ी गलती होगी। एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि कांसुलर सहायता में पासपोर्ट आवेदन स्वीकार करना, नोटरी सेवाएं प्रदान करना, सूचना प्रदान करना और इमरजेंसी हालात में में मदद करना शामिल हो सकता है।


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