अमेरिका: अमेजॉन के गोदाम में यूनियन बनाने या नहीं बनाने को लेकर वोटिंग
किसी सहकर्मी के संक्रमित होने की सूचना तक नहीं दी गई।
अमेरिका में खुदरा कंपनी अमेजॉन के एक गोदाम के करीब 6,000 श्रमिकों ने मजदूर संघ बनाने या न बनाने के बारे में तय करने के लिए मतदान का सहारा लिया। यह गोदाम अलबामा प्रांत के बेस्सेमेर में है।
कहा जा रहा है कि यदि यूनियन बनाने के पक्ष में ज्यादा वोट पड़ा तो यह ऑनलाइन खुदारा प्लेटफार्म के इतिहास में श्रमिकों के अधिकारों के लिए अब तक का सबसे बड़ा संगठित प्रयास होगा। इससे पूरे अमेरिका में इस कंपनी के श्रमिक इस तरह के कदम उठाने को प्रेरित हो सकते हैं। इस मतदान में कंपनी का बड़ा हित दांव पर लगा है।
अन्य कंपनियों पर भी पड़ सकता है असर
यही नहीं, श्रम मामलों के कुछ वकीलों का मनना है कि अमेजॉन की इन घटनाओं का अन्य कंपनियों पर भी असर पड़ सकता है और वहां भी यूनियन इस तरह की मांग उठा सकती है।
श्रमिक यूनियन बनाने के हर प्रयास को अब तक नाकाम किया
अमेजॉन अमेरिका में निजी क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी नियोक्ता कंपनी है। कंपनी का इतिहास रहा है कि उसने अपने गोदामों और होल फूड्स नाम से परिचालित खुदरा दुकानों में श्रमिक यूनियन बनाने के हर प्रयास को अब तक नाकाम किया है। बेस्सेमेर गोदाम के श्रमिकों के लिए वोट देने समय सोमवार तक ही है। यूनियन के गठन के लिए वोट में ज्यादा लोगों के समर्थन की जरूरत होगी। मतों की गिनती मंगवालवार को राष्ट्रीय श्रमिक संबंध परिषद के अधिकरी करेंगे।
अमेजॉन के कर्मचारी मजदूरी बढ़ाने के अलावा अधिक विश्राम और सम्मानित व्यवहार की मांग कर रहे हैं। उनकी शिकायत है कि उनसे हर रोज दस घंटे कमरतोड़ काम लिया जाता है और बीच में केवल 30 मिनट का विश्राम मिलता है। गोदाम के कर्मचारियों को हमेशा ट्रकों से माल उतारने-चढ़ाने, उन्हें रैक पर लगाने या खोलने के काम में लगे रहना पड़ता है।
एक मजदूर ने हाल में सीनेट की एक समिति से कहा कि उनका काम बहुत अधिक मेहनत का है। उन पर पूरे दिन निगाह रखी जाती है और किसी ने कहीं थोड़ा ज्यादा आराम कर लिया तो उसको दंड दिया जाता है या उसे निकाल भी दिया जाता है।
श्रमिकों को औसतन प्रति घंटा 15.30 डॉलर की दर से मजूदरी
अमेजॉन भर्तियां करते समय अपने भंडार केंद्रों के काम के विवरण में बताती है कि यह काम 'तेजी से किया जाने वाला शारीरिक काम होता है जहां आप को हमेशा खड़े रहना और चलना पड़ता है।' कंपनी का कहना है कि वह हजारों लोगों को रोजगार के अवसर दे रही है। श्रमिकों को औसतन प्रति घंटा 15.30 डॉलर की दर से मजूदरी दी जाती है। यह अलबामा प्रांत में न्यूनतम मजदूरी का दो गुना है। कंपनी का यह भी कहना है कि उनके यहां श्रमिकों को स्वाथ्य सुविधा और आंख तथा दांत का बीमा संरक्षण भी दिया जाता है और उन्हें यूनियन का कोई चंदा नहीं कटवाना होता है।
कंपनी ने मजदूरों के लिए एक वेबसाइट बना रखी है। उस पर श्रमिकों को बताया जाता है कि यूनियन में जाने पर उनकों हर माह 500 डॉलर चंदा देना पड़ सकता है। यह धन वे अपने खाने-पीने या बच्चों के स्कूल के सामान पर खर्च कर सकते हैं।
खुद को ठगा महसूस कर रहे श्रमिक
श्रम संगठन के इतिहास के जानकार लोगों का कहना है कि यह आंदोलन इस समय इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि मजदूर कोरोना वायरस महामारी के दौर में अपने प्रतिष्ठान में नियोक्ताओं द्वारा ठगा हुआ महसूस करने लगे हैं। उनका कहना है प्रतिष्ठान ने वायरस से उन्हें बचाने के लिए कुछ नहीं किया। अमेजॉन के बारे में बताया गया कि कर्मचारियों को कंपनी की ओर से संक्रमण से बचाव के सामान नहीं दिए गए और किसी सहकर्मी के संक्रमित होने की सूचना तक नहीं दी गई।