अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन की दिशा में उठाए बड़े कदम, स्वच्छ ऊर्जा के विकास को किया प्रोत्साहित
अमेरिकी घरेलू स्तर पर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती को लेकर कानून बना रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिकी घरेलू स्तर पर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती को लेकर कानून बना रहा है। इससे संबंधित बिल को अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट ने रविवार को मंजूरी दे दी है। शुक्रवार को इसे निचले सदन प्रतिनिधि सभा में पेश किया जाएगा। वहां से मंजूरी के राष्ट्रपति जो बाइडन के पास भेजा जाएगा और उनकी मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा।
नए कानून में अगले दशक में स्वच्छ ऊर्जा के विकास को प्रोत्साहित करने का प्रविधान किया गया है। इसके तहत इलेक्टि्रक कार खरीदने, सोलर पैनल लगाने और बिजली उत्पादन के लिए परंपरागत ईंधन के इस्तेमाल को बंद करने के लिए 375 अरब डालर के वित्तीय प्रोत्साहन को शामिल किया गया है। जलवायु परिवर्तन के लिए अमेरिका के इतिहास में यह सबसे बड़ा सिंगल निवेश है। यह अमेरिका के रवैये में बड़े बदलाव का संकेत भी देता है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पेरिस जलवायु समझौते से अलग हो गए थे।
बाइडन ने आते ही ग्लोबल वार्मिग के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में शामिल होने का संकल्प लिया था। उन्होंने 2030 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 50 प्रतिशत तक कमी लाने का लक्ष्य रखा है। विशेषज्ञों के अनुसार नए कानून से इसमें 31-40 प्रतिशत की कटौती होने की उम्मीद है।
2015 में अपनाए गए पेरिस समझौते का उद्देश्य इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखकर जलवायु परिवर्तन के खतरे के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया को मजबूत करना है। समझौते का उद्देश्य उपयुक्त वित्तीय प्रवाह, एक नई प्रौद्योगिकी ढांचे और एक उन्नत क्षमता निर्माण ढांचे के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए देशों की क्षमता को मजबूत करना भी है।