बांग्लादेश को चीन की चाल से बचाने के लिए ऐक्शन में अमेरिका, साइन की ओपन स्काई संधि

भारत के पड़ोसी बांग्लादेश पर चीन के बढ़ते प्रभाव से अमेरिका भी चिंतित नजर आ रहा है।

Update: 2020-10-06 15:42 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | ढाका: भारत के पड़ोसी बांग्लादेश पर चीन के बढ़ते प्रभाव से अमेरिका भी चिंतित नजर आ रहा है। इसी कारण मंगलवार को अमेरिकी अधिकारियों के हाईलेवल डेलिगेशन ने बांग्लादेश के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान अमेरिका और बांग्लादेश ने ओपन स्काई संधि पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इस संधि से दुनियाभर के 30 से ज्यादा देश जुड़े हुए हैं। जो एक दूसरे के क्षेत्र में बिना रोकटोक यात्री विमानों के आवागमन की अनुमति देते हैं।

अमेरिका से ढाका के बीच शुरू होगी फ्लाइट

अमेरिका अपने राष्ट्रपति चुनाव में व्यस्त होने के वाबजूद दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने में जुटा हुआ है। भले ही अमेरिका में कोई भी राष्ट्रपति हो लेकिन सबकी नजर इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटजी पर टिकी रहती है। यह बैठक पहले 30 सितंबर को आयोजित की जाने वाली थी लेकिन कोरोना वायरस के कारण इसमें देरी हुई। अमेरिका की तरफ से इस बैठक में अमेरिकी आर्थिक विकास, ऊर्जा और पर्यावरण के उपमंत्री कीथ क्रैच शामिल हुए।

बांग्लादेश में बड़ा निवेश करेगा अमेरिका

बैठक के दौरान अमेरिकी मंत्री ने कहा कि हमारे देश की कंपनियां बांग्लादेश के ऊर्जा, आईटी, फार्मास्युटिकल और कृषि क्षेत्रों में निवेश करने के लिए तैयार हैं। वहीं बांग्लादेश और अमेरिका के बीच एक सीधी हवाई सेवा समझौते की भी शुरुआत हुई। इस ओपन स्काई पॉलिसी के तहत बांग्लादेश और अमेरिका के बीच सीधी उड़ान आयोजित की जा सकेगी।

अमेरिकी विदेश विभाग ने जारी किया बयान

अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि विमानन समझौता हमारी मजबूत आर्थिक और वाणिज्यिक साझेदारी का विस्तार करेगा। इससे लोगों से लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा मिलेगा और और एयरलाइंस, ट्रैवल कंपनियों और ग्राहकों के लिए नए अवसर पैदा करेगा। माना जाता है कि अमेरिका में 5 लाख के आसपास बांग्लादेशी लोग रहते हैं। इससे ढाका से अमेरिका के लिए सीधी वायुसेवा की शुरुआत भी हो सकेगी। इस सेवा को 2006 में आर्थिक घाटे के कारण निलंबित कर दिया गया था।

बांग्लादेश के सहारे भारत को घेरने की कोशिश में चीन

चीन अपने अरबों डॉलर के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) में बांग्लादेश को शामिल करने के लि एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। इस परियोजना की मदद से बंगाल की खाड़ी में चीन अपनी पहुंच बनाना चाहता है। इस क्षेत्र में भारत के अंडमान निकोबार और विशाखापत्तनम सहित कई नेवल बेस और रणनीतिक ठिकाने हैं। चीन का मुख्य उद्देश बांग्लादेश को साधकर भारत को घेरने की है। वह हिंद महासागर में श्रीलंका और मालदीव को पहले ही अपने कर्ज के जाल में फंसा चुका है। नेपाल पहले से ही चीन की भाषा बोल रहा है और पाकिस्तान तो उसका सदाबहार दोस्त है ही।

चीन ने बांग्लादेश में किया है 26 अरब डॉलर का निवेश

गौरतलब है कि चीन ने बांग्लादेश में 26 अरब डॉलर का निवेश किया है जबकि 38 अरब डॉलर निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके साथ ही बांग्लादेश उन देशों में शामिल हो गया है, जहां पर चीन ने आधारभूत संरचना में सबसे अधिक निवेश किया है। बांग्लादेश चीन से लगभग 15 बिलियन डॉलर का आयात करता है। जबकि चीन को बांग्लादेश से निर्यात किए जाने वाले वस्तुओं की कीमत आयात के मुकाबले बहुत कम है।

चीन ने बांग्लादेश के 97 फीसदी उत्पादों को टैक्स फ्री किया

भारत के पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक कूटनीति खेलने में जुटे चीन ने बांग्लादेश के 97 फीसदी उत्पादों पर से टैक्स हटाने की घोषणा की थी। चीन के इस बड़े ऐलान से गदगद बांग्लादेश के राजनयिकों ने इसे पेइचिंग और ढाका के संबंधों में मील का पत्थर बताया था। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि मत्स्य और चमड़े के उत्पादों सहित 97 फीसदी वस्तुओं को चीनी टैरिफ से छूट दी गई है।

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