अमेरिका ने ये आरोप लगाते हुए आठ चीनी कंपनियों को किया ब्लैकलिस्ट
अमेरिका और चीन के बीच लगातार तनाव देखने को मिल रहा है
अमेरिका और चीन (US-China tensions) के बीच लगातार तनाव देखने को मिल रहा है. वाशिंगटन (Washington) और बीजिंग (Beijing) दोनों ही द्वारा उठाए जा रहे कदम की वजह से तनाव में इजाफा देखने को मिल रहा है. वहीं, अब अमेरिका सरकार ने बुधवार को कथित तौर पर कई चीनी कंपनियों (Chinese Firms) को अपने ट्रेड ब्लैकलिस्ट (US Blacklist Chinese Companies) में डाल दिया. रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिका (America) ने कहा कि ये कंपनियां चीनी सेना (Chinese Military) के क्वांटम कंप्यूटिंग प्रयासों को विकसित करने में सहायता कर रही हैं.
आठ चीनी कंपनियों को चीनी सेना की सहायता करने में उनकी कथित भूमिका के लिए और मिलिट्री एप्लिकेशन को सपोर्ट करने के लिए अमेरिकी ऑरिजन की वस्तुओं को हासिल करने की कोशिश के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया है. अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो एक बयान में कहा कि इन कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किए जाने से देश की टेक्नोलॉजी को चीन और रूस के सैन्य विकास को रोकने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, पाकिस्तान की असुरक्षित परमाणु गतिविधियां या बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को भी रोका जा सकेगा. इससे पहले भी चीनी कंपनियों पर इस तरह के आरोप लगते रहे हैं.
चीन ने ब्लैकलिस्ट करने पर कही ये बात
वाशिंगटन में मौजूद चीनी दूतावास (Chinese Embassy) ने ब्लैकलिस्ट किए जाने के कदम का विरोध किया. दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने कहा कि अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा कैच-ऑल अवधारणा का इस्तेमाल करता है और हर संभव तरीकों से चीनी कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग करता है. उन्होंने कहा कि अमेरिका को चीन से गलत रास्ते पर आगे बढ़ने के बजाय उससे मिलने की जरूरत है. यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब दोनों देश ताइवान की स्थिति (Taiwan's status) और व्यापार के मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ आमने-सामने हैं.
कुल मिलाकर 27 कंपनियों को किया गया ब्लैकलिस्ट
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग (Xi Jinping) के बीच हालिया वर्चुअल बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने कई अन्य विषयों के बीच व्यापार को लेकर चर्चा की. इस बीच, ब्लैकलिस्ट की गई आठ चीनी कंपनियां के अलावा कई अन्य कंपनियों को भी सूची में डाला गया है. कुल मिलाकर 27 नई कंपनियों को सूची में शामिल किया गया है. इसमें पाकिस्तान, जापान और सिंगापुर की कंपनियां भी हैं. अमेरिका का कहना है कि ये कदम चीन को टेक्नोलॉजी के जरिए उन्नत हथियार हासिल से रोकने के लिए हैं. हालांकि, अब विवाद बढ़ने की आशंका भी बढ़ गई है.