अमेरिका, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए एक और क्वाड बनाएंगे गठबंधन, क्या होगा इसका मकसद?
हिंद-प्रशांत और दक्षिण चीन सागर में चुनौती देने के लिए अमेरिका ने भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ मिलकर क्वाड का गठन किया. इसके जरिए चीन को चुनौती भी दी गई है और बीजिंग को घेरने का प्रयास भी किया गया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) और दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में चुनौती देने के लिए अमेरिका (America) ने भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ मिलकर क्वाड (Quad) का गठन किया. इसके जरिए चीन को चुनौती भी दी गई है और बीजिंग को घेरने का प्रयास भी किया गया है. लेकिन अब अमेरिका के नेतृत्व में एक और 'क्वाड गठबंधन' बनाने की तैयारी हो रही है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि इस गठबंधन में भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) भी शामिल होने वाला है. बताया गया है कि इसका मध्य एशिया में क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
अमेरिका में जो बाइडेन (Joe Biden) प्रशासन ने कहा है कि अमेरिका, अफगानिस्तान (Afghanistan), पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने पर केंद्रित एक नया राजनयिक मंच (Quadrilateral diplomatic platform) स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए हैं. अमेरिकी विदेश विभाग ने शुक्रवार को कहा, सभी पक्ष अफगानिस्तान में दीर्घकालिक शांति और स्थिरता को क्षेत्रीय संपर्क के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं. वे इस बात पर सहमत हैं कि शांति और क्षेत्रीय संपर्क पारस्परिक रूप से मजबूत किया जा रहा है.
आने वाले महीनों में मुलाकात करेंगे चारों देशों के नेता
विदेश विभाग ने कहा कि अंतर्क्षेत्रीय व्यापार मार्गों (Interregional trade routes) को खोलने के ऐतिहासिक अवसर को स्वीकार करते हुए सभी पक्ष व्यापार का विस्तार करने, पारगमन लिंक बनाने और परस्पर व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए सहयोग करने का इरादा रखते हैं. विभाग ने कहा, सभी पक्ष आपसी सहमति और परस्पर सहयोग से इसके तौर-तरीकों का निर्धारण करने के लिए आगामी महीनों में मुलाकात पर सहमत हुए हैं. हालांकि, इस गठबंधन का बनना भारत के लिए टेंशन की बात नहीं है, क्योंकि भारत पहले से ही अमेरिका के साथ क्वाड गठबंधन में शामिल है.
अफगानिस्तान में शांति होगा नए क्वाड का मकसद
इस नए क्वाड गठबंधन का मकसद अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता पर फोकस होगा. गौरतलब है कि अमेरिकी सुरक्षा बलों की वापसी के बाद से ही अफगानिस्तान में हिंसा का दौर तेज हो गया है. तालिबान ने देश के कई प्रमुख शहरों पर कब्जा जमा लिया है और इसने दावा किया है कि देश के 85 फीसदी हिस्से पर संगठन का कब्जा है. अमेरिका ने यहां तक कह दिया है कि सुरक्षा बलों की पूरी तरह वापसी के बाद पांच महीने के भीतर ही अफगानिस्तान सरकार गिर सकती है. ऐसे में इस गठबंधन के जरिए अफगानिस्तान को लेकर रणनीति बनाई जा सकती है, ताकि तालिबान संग समन्वय बैठाकर शांति स्थापित की जा सके.