Amazon Rainforests को कहा जाता था धरती का फेफड़ा, अब वो ही दुनिया में बढ़ा रहे गर्मी

ऐमजॉन के वर्षावनों को धरती के 'फेफड़े' कहा जाता था और अब यही सांस के लिए दम भर रहे हैं

Update: 2021-07-15 12:23 GMT

रियो डि जेनेरो: ऐमजॉन के वर्षावनों (Amazon rainforest) को धरती के 'फेफड़े' कहा जाता था और अब यही सांस के लिए दम भर रहे हैं। एक नई स्टडी के मुताबिक वनों की कटाई के कारण अब यहां से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ गया है जो ग्लोबल वॉर्मिंग में योगदान दे रही है। जंगलों में लगने वाली आग के साथ पेड़ों के कटने की वजह से कार्बन सिंक की जगह कार्बन उत्सर्जन ने ले ली है। यह स्डी ब्राजील के नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च ने की है।

टीम का कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ने से खराब मौसम से जुड़ीं घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। ऑब्जर्वेशन्स में देखा गया कि दक्षिणपूर्वी ऐमेजोनिया में अब कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन बढ़ गया है। यह क्षेत्र पूरे ऐमजॉन का 20% है। पेड़ों की कटाई न होने से ये वर्षावन कार्बन को सोखने का काम करते थे लेकिन लाखों पेड़ों के कटने से न सिर्फ वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने का जरिया कम हुआ है, बल्कि पड़ों के मरने और जलने से और भी ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है।
ऐमजॉन को किसी भी खतरे से जनजीवों को भारी नुकसान होगा। ईकोसिस्टम में विशाल जानवरों से लेकर छोटे-छोटे कीड़े मकौड़े तक की बड़ी भूमिका होती है। किसी छोटे कीड़े पर खतरा मंडराने से उस पर निर्भर बड़ी जीव के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा हो सकता है। इसी तरह पूरी Food chain चरमरा सकती है और जैव विविधता को भारी नुकसान हो सकता है। ऑकलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलजी के सेबैस्टियन लूजिंगर का कहना है कि एक भी प्रजाति खत्म हुई तो वह हमेशा के लिए खो जाएगी और इससे ऐमजॉन को काटने का सबसे बड़ा नुकसान होगा। उसकी पानी और कार्बन के स्टोरेज में भूमिका पर असर पड़ेगा और वहां रह रहे 3 करोड़ लोग तो प्रभावित होंगे ही।
खाना और घर उपलब्ध कराने वाले ईकोसिस्टम के खत्म होने से जो नुकसान होगा उसकी कल्पना नहीं की जा सकती। लूजिंगर का कहना है कि इसके नतीजे वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था और सामाजिक भी होंगे। ऐमजॉन में 76 अरब टन कार्बन स्टोर होता है और अगर सभी पेड़ काट दिए जाएं तो वह पूरा कार्बन वायुमंडल में रिलीज हो जाएगा। यह सालाना इंसानी गतिविधियों से उत्सर्जित कार्बन की तुलना में 8 गुना ज्यादा होगा। जाहिर है इससे जलवायु पर विनाशकारी परिणाम होंगे। इसके अलावा ऐमजॉन पानी के भारी स्टोरेज और रीसर्कुलेशन के लिए भी जिम्मेदार है। लूजिंगर का कहना है कि ऐमजॉन का क्लाउड सिस्टम और उसकी पानी रीसाइकल करने की क्षमता में विघ्न पड़ा तो ईकोसिस्टम बिगड़ जाएगा और ये वर्षावन सूखे सवाना में तब्दील हो जाएंगे। ये बदलाव महज 20-40 प्रतिशत पेड़ कटने पर ही नजर आने लग सकते हैं। लूजिंगर का यह बी कहना है कि कहीं और ये पेड़ लगाना यूं तो मुमकिन है लेकिन इसके लिए सैकड़ों साल लग जाएंगे और इतना विशाल क्षेत्र भी उपबल्ध नहीं है। पानी का सर्कुलेशन पेड़ों के काटने से रोका जाता है तो वापस नहीं आया जा सकता। जंगलों से पानी खत्म होने के नतीजे वैश्विक जलवायु परिवर्तन पर दिखेंगे।
दक्षिण अमेरिका में 69 लाख स्क्वेयर किलोमीटर के क्षेत्र में फैले ऐमजॉन के वर्षावनों में 40 हजार से ज्यादा पौधों, 1300 पक्षियों और 430 स्तनधारी जीवों की प्रजातियां रहती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती की 6%-9% ऑक्सिजन यहीं से आती है।
ऐमजॉन में 76 अरब टन कार्बन स्टोर होता है और अगर सभी पेड़ काट दिए जाएं तो वह पूरा कार्बन वायुमंडल में रिलीज हो जाएगा। यह सालाना इंसानी गतिविधियों से उत्सर्जित कार्बन की तुलना में 8 गुना ज्यादा होगा। जाहिर है इससे जलवायु पर विनाशकारी परिणाम होंगे।
पानी की साइकल पर पड़ेगा असर
ऐमजॉन का क्लाउड सिस्टम और उसकी पानी रीसाइकल करने की क्षमता में विघ्न पड़ा तो ईकोसिस्टम बिगड़ जाएगा और ये वर्षावन सूखे सवाना में तब्दील हो जाएंगे। ये बदलाव महज 20-40 प्रतिशत पेड़ कटने पर ही नजर आने लग सकते हैं। कहीं और ये पेड़ लगाना यूं तो मुमकिन है लेकिन इसके लिए सैकड़ों साल लग जाएंगे और इतना विशाल क्षेत्र भी उपबल्ध नहीं है। पानी का सर्कुलेशन पेड़ों के काटने से रोका जाता है तो वापस नहीं आया जा सकता। जंगलों से पानी खत्म होने के नतीजे वैश्विक जलवायु परिवर्तन पर दिखेंगे।
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