रूस और यूक्रेन के बीच इस बार विवाद की जड़ NATO को माना जा रहा है. NATO यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन, जिसे 1949 में शुरू किया गया था. यूक्रेन NATO में शामिल होना चाहता है लेकिन रूस ऐसा नहीं चाहता. रूस को लगता है कि अगर यूक्रेन NATO में शामिल हुआ तो NATO देशों के सैनिक और ठिकाने के उसकी सीमा के पास आकर खड़े हो जाएंगे. लेकिन सवाल ये है कि रूस NATO से इतना चिढ़ता क्यों है? इसे समझने के लिए पहले NATO क्या है, ये समझना जरूरी है?
दरअसल, 1939 से 1945 के बीच दूसरा विश्व युद्ध हुआ. इसके बाद सोवियत संघ ने पूर्वी यूरोप के इलाकों से सेनाएं हटाने से इनकार कर दिया. 1948 में बर्लिन को भी घेर लिया. इसके बाद अमेरिका ने सोवियत संघ की विस्तारवादी नीति को रोकने के लिए 1949 में NATO की शुरुआत की. जब NATO बना तब इसके 12 सदस्य देश थे, जिनमें अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, इटली, नीदरलैंड, आइसलैंड, बेल्जियम, लक्जमबर्ग, नॉर्वे, पुर्तगाल और डेनमार्क शामिल हैं. आज NATO में 30 देश शामिल हैं. NATO एक सैन्य गठबंधन है, जिसका मकसद साझा सुरक्षा नीति पर काम करना है. अगर कोई बाहरी देश किसी NATO देश पर हमला करता है, तो उसे बाकी सदस्य देशों पर हुआ हमला माना जाएगा और उसकी रक्षा के लिए सभी देश मदद करेंगे.