संसद में अविश्वास प्रस्ताव के बाद राजपक्षे पर लगे आरोप, विपक्ष का आरोप- सांविधानिक दायित्वों का निर्वहन नहीं हुआ
श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी एसजेबी ने देश में दो दशक के सबसे खराब आर्थिक हालात से निपटने के लिए राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे और सरकार के खिलाफ संसदीय अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव सौंप दिया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी एसजेबी ने देश में दो दशक के सबसे खराब आर्थिक हालात से निपटने के लिए राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे और सरकार के खिलाफ संसदीय अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव सौंप दिया है। इस संबंध में संसद का एक अहम सत्र में राष्ट्रपति पर कई आरोप लगे हैं। विपक्ष ने कहा, जब देश सबसे बुरे आर्थिक दौर में है तब राजपक्षे ने सांविधानिक दायित्वों का निर्वहन नहीं किया।
एसजेबी ने संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा। पार्टी के महासचिव रंजीत मद्दमा बंडारा ने कहा, इसे जल्द से जल्द निपटाया जाए। इस माह की आठ बैठकों में से पहली बैठक बुधवार को हुई।
इस दौरान वित्तमंत्री अली साबरी को पिछले माह वाशिंगटन में आईएमएफ से हुए चर्चा की जानकारी भी सदन को देनी होगी। इस बीच, संसद में डिप्टी स्पीकर की स्थिति के लिए गुप्त मतदान सदन में बहुमत साबित करने के लिए अहम हो सकता है। एसजेबी ने कहा कि वह संसद में उपाध्यक्ष पद के लिए अपना प्रत्याशी उतारेगी।
यूएनपी व तमिल पार्टी पर नजर
सत्तारूढ़ पार्टी के सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे भी संसद में अपने पद से इस्तीफा नहीं देने की अहम घोषणा कर सकते हैं। उनके पास अभी सदन में बहुमत है। जबकि पूर्व पीएम रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी यूएनपी के साथ मुख्य तमिल पार्टी पर सबकी नजर है।
दोनों साझा तौर पर राष्ट्रपति के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। इसका अर्थ होगा कि सदन ने राष्ट्रपति पर विश्वास खो दिया है। हालांकि राष्ट्रपति के इस्तीफा देने के लिए यह प्रस्ताव बाध्यता नहीं है।