भारत के दबाव के बाद चीनी जासूसी पोत पर श्रीलंका ने लगाई रोक, मिसाइल व सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने की थी साजिश
पने निकटतम पड़ोसी भारत के दबाव के बाद श्रीलंका सरकार ने चीन के जासूसी पोत 'यूआन वांग 5' के अपने हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचने पर रोक लगा दी है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अपने निकटतम पड़ोसी भारत के दबाव के बाद श्रीलंका सरकार ने चीन के जासूसी पोत 'यूआन वांग 5' के अपने हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचने पर रोक लगा दी है। यह पोत 12 अगस्त को इस बंदरगाह पर लंगर डालने वाला था और इसे सप्ताहभर तक वहीं ठहराना था। बता दें कि चीन का यह पोत हंबनटोटा बंदरहगाह से भारत के दक्षिणी हिस्से की अधिकांश मिसाइल व सैन्य गतिविधियों के अलावा ढांचागत परियोजनाओं पर करीबी निगरानी करने की क्षमता रखता है।
भारत ने जताई थी कड़ी आपत्ति
कोलंबो में चीनी दूतावास को लिखे एक पत्र में श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अनुरोध है कि हंबनटोटा में पोत युआन वांग-5 के आगमन की तारीख को इस मामले पर आगे की सलाह तक टाल दिया जाए। गौरतलब है कि सुरक्षा कारणों से भारत चीनी विमान के हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचने को लेकर श्रीलंका के समक्ष कड़ी आपत्ति जता चुका था। कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने इस मुद्दे को राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के समक्ष भी उठाया था। श्रीलंकाई कैबिनेट के प्रवक्ता और मीडिया मंत्री बंडुला गुणावर्धने कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच लंबे समय से अच्छे संबंध हैं और श्रीलंका ऐसा कुछ नहीं करेगा, जिससे कि विश्वास और संबंधों पर आंच आए।
बारीकी से नजर रख रहा था भारत
भारत सरकार को आशंका थी कि श्रीलंकाई बंदरगाह पर रकने के दौरान इस पोत की निगरानी प्रणाली भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों की जासूसी कर सकती है। जानकारों का मानना था कि भले ही युआन वांग-5 सैन्य पोत नहीं है, लेकिन यह चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक साबित हो सकता है। इसी के चलते भारत सरकार श्रीलंका के समक्ष लगातार आपत्ति जता रही थी और हिंद महासागर में इस पोत के प्रवेश पर रोक की मांग कर रही थी। साथ ही इस पर बारीकी से नजर रख रही थी।