फिनलैंड के बाद अब स्वीडन बनेगा नाटो का हिस्सा, रूस ने फिर दी चेतावनी
वहीं बाल्टिक इलाके में नाटो अब कमजोर नहीं बल्कि एक ताकतवर पक्ष बन जाएगा.
फिनलैंड (Finlad) के बाद अब स्वीडन नाटो (Nato) सैन्य गठबंधन में शामिल होने जा रहा है, इस पर रूस (Russia) ने सोमवार को प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह फैसला एक गंभीर गलती है और इसको लेकर रूस उपाय करेगा. रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने संवाददाताओं से कहा, 'यह एक और गंभीर गलती है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे.' रूसी समाचार एजेंसियों ने उनके हवाले से कहा कि इससे सैन्य तनाव का सामान्य स्तर बढ़ेगा. यह अफसोस की बात है कि कुछ भ्रामक विचारों के लिए सामान्य ज्ञान की बलि दी जा रही है कि वर्तमान स्थिति में क्या किया जाना चाहिए.
रयाबकोव ने कहा कि इस कदम के कारण दोनों देशों की सुरक्षा मजबूत नहीं होगी और मास्को इसका सही उपाय करेगा. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि हम इसे छोड़ देंगे. फिनलैंड और स्वीडन दोनों को रूस से हमले का खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने कहा है कि अपनी रक्षा के लिए वे नाटो में शामिल होने के लिए दशकों से सैन्य गुटनिरपेक्षता को खत्म करने के लिए तैयार हैं.
फिनलैंड के साथ रूस की 1,300 किलोमीटर (800 मील) की सीमा साझा करता है, कि वह 'पारस्परिक कदम' उठाएगा. रूस (Russia) ने भी अपनी नाराजगी जताते हुए दोनों देशों को चेतावनी भी जारी कर दी है. यूरोप की राजनीति और इतिहास के लिहाज से यह एक बड़ी घटना कही जा सकती है. इसके बाद फिनलैंड और स्वीडन के नाटों में शामिल होने के बाद नाटो की रूस से लगी सीमा दोगुनी से भी ज्यादा हो जाएगी.
क्या है नाटो
नाटो अमेरिका की अगुआई में स्थापित किया सैन्य संगठन है जो शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ के विस्तार के खतरे को रोकने के लिए बनाया गया था. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद भी यह संगठन ना केवल कायम रहा बल्कि इसका तेजी से विस्तार भी हुआ. बहुत से देश जो शीत युद्ध में सोवियत संघ के निकट थे अब धीरे धीरे नाटो में शामिल होने लगे. अब यूक्रेन, फिनलैंड और स्वीडन भी नाटो में शामिल होना चाहते हैं. फिनलैंड और स्वीडन को नाटो के खेमे में आने से बाल्टिक देशों की सुरक्षा करना नाटो के लिए आसान हो जाएगा. वहीं बाल्टिक इलाके में नाटो अब कमजोर नहीं बल्कि एक ताकतवर पक्ष बन जाएगा.