आखिर क्यों बुध ग्रह पर आते हैं चुंबकीय तूफान?

बुध ग्रह पर आते हैं चुंबकीय तूफान

Update: 2022-04-06 17:12 GMT
हमारे सौरमंडल (Solar System) में पृथ्वी बहुत अनोखा ग्रह है. इसकी बहुत सारी विशेषताएं हैं जो सौरमंडल के किसी दूसरे ग्रह में नहीं होती हैं. हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिक भी दूसरे ग्रहों का अध्ययन कर यह पता लगाने का प्रयास करते रहते हैं कि कहीं किसी ग्रह या उपग्रह में पृथ्वी जैसी विशेषताएं तो नहीं हैं. अब अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम ने यह सिद्ध किया है कि हमारे सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह, बुध (Mercury) में भी भूचुंबकीय तूफान आते हैं जैसे कि पृथ्वी पर आते हैं. इससे पहले यह माना जाता था कि भूचुंबकीय तूफान केवल पृथ्वी पर ही आ सकते हैं, लेकिन इस खोज ने यह धारणा बदल दी है.
क्या दूसरे ग्रहों में आ सकता है ऐसा तूफान
इस शोध में अमेरिक, कनाडा और चीन के वैज्ञानिक शामिल थे जिसमें अलास्का फेयरबैंक्स जियोफिजिकल इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी के अंतरिक्ष भौतिकी की प्रोफेसर हुई जांग की प्रमुख भूमिका थी. शोधकर्ताओं ने सबसे पहले इस प्रश्न का समाधान निकाला कि क्या दूसरे ग्रहों में भूचुंबकीय तूफान हो सकता है या नहीं.
प्रमुख प्रश्नों के उत्तर
शोधकर्ताओं का प्रयास यह जानने का था कि क्या किसी ग्रह के आकार की इस तरह के तूफानों के होने की निर्भरता होती है या नहीं. या क्या दूसरे ग्रहों में भी पृथ्वी की तरह आयनमंडल होता है. शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के नतीजे दो शोधपत्रों में पिछले महीने ही प्रकाशित किए हैं जिसमेमं जांग दोनों ही पत्रों में सहलेखक हैं.
एक वलय प्रवाह
पहले शोधपत्र में यह सिद्ध किया गया है कि बुध ग्रह के पास डोनट के आकार का एक वलय प्रवाह (Ring Current) का क्षेत्र है जिसमें आवेशित कण ध्रुवों को छोड़कर ग्रह के चारों ओर घूम रहे हैं. वही दूसरे शोधपत्र में शोधकर्ताओं ने यह सिद्धकिया है कि इस वलय प्रवाह के कारण ही बुध में भूचुंबकीय तूफान आते हैं.
सौर पवनों का व्यवधान
भूचुंबकीय तूफान किसी ग्रह के मेग्नेटोस्फियर में वह व्यवधान होते हैं जो सौर पवनों की ऊर्जा के हस्तांतरण के कारण पैदा होते हैं. ऐसे ही भूचुंबकीय तूफान के कारण पृथ्वी के ध्रुवों पर ऑरोर बनते हैं और उनकी वजह से रेडियो संचार को नष्ट कर सकते हैं. यह पड़ताल चाइना टेक्नोलॉजिकल साइंसेस नाम के जर्नल में प्रकाशित हुई हैं.
वलय प्रवाह के आधार पर
इसअध्ययन के लेखक पेकिंग यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑप स्पेस फिजिक्स एंड एप्लाइड टेक्नोलॉजी के क्वीगांग जोंग हैं. वह शोधपत्र एक ही दिन पहले प्रकाशित शोधपत्र के आधार पर है जिसने आंकड़ों के आधार पर यह पुष्टि की कि बुध ग्रह के पास एक वलय प्रवाह है. पृथ्वी के पास भी एक वलय प्रवाह है.
पृथ्वी के जैसे ही तूफान
वलय प्रवाह वालाशोध पत्र नेच कम्यूनिकेशन्स में प्रकाशित हुआ है जिसके लेखक जिउटोंग झाओ हैं जो पेकिंग यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑप स्पेस फिजिक्स एंड एप्लाइड टेक्नोलॉजी के ही हैं. इन शोधों में भाग लेने वाले कुल 14 वैज्ञानिकों में से सात दोनों में शामिल थे. शोधकर्ताओं ने बताया कि बुध पर इन तूफानों की प्रक्रियाएं पृथ्वी की तूफानों के जैसी ही थीं.
फर्क इतना है कि बुध का मैग्नेटिक फील्ड बहुत कमजोर है और वहां कोई वायुमंडल नहीं है. इन तूफानों की पुष्टि मैसेंजर प्रोब के आंकड़े और सूर्य से निकलने वाली कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण (CME) के अध्ययन से हो सकी थी. अप्रैल 2014 में सूर्य से निकलने वाली इस आवेशित प्लाज्मा ने इस वलय को दबा दिया था और उसकी ऊर्जा बहुत बढ़ा दी थी. इसी वजह से भूचंबकीय तूफान आया था.
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