आखिर अमेरिका-चीन के बीच ऐसा क्या समझौता हुआ कि चौंक गई दुनिया?
जलवायु परिवर्तन का मुद्दा सिर्फ कार्बन उत्सर्जन कम करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह भू राजनीति यानी जियो पॉलिटिक्स का जरिया भी बन गया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जलवायु परिवर्तन का मुद्दा सिर्फ कार्बन उत्सर्जन कम करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह भू राजनीति यानी जियो पॉलिटिक्स का जरिया भी बन गया है। कई वैश्विक मुद्दों पर एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी चीन और अमेरिका के बीच हुए जलवायु समझौते के महत्व को इसी नजरिये से ज्यादा देखा जा रहा है। कॉप-26 सम्मेलन के दौरान दुनिया के दोनों बड़े प्रदूषक राष्ट्रों ने एक मंच पर आकर एक दशक तक मिलकर कार्य करने का ऐलान किया है।
दरअसल, बुधवार को एक तरफ अमेरिका ने इंटरनेशनल सोलर एलायंस (आईएसए) में शामिल होकर जलवायु मोर्चे पर भारत के नेतृत्व में कार्य करने के संकेत दुनिया को दिए। आईएसए भारत की पहल है जिसमें अमेरिका तब तक शामिल नहीं हुआ था। राष्ट्रपति जो बाइडन के सत्ता में आने के बाद पेरिस समझौते में शामिल होने के ऐलान के बाद आईएसए में शामिल होना उनका दूसरा बड़ा कदम था। इसके कुछ घंटों के बाद अमेरिका ने चीन के साथ जलवायु समझौते का ऐलान किया है। यह जलवायु मोर्चे पर अमेरिका का तीसरा बड़ा कदम माना जा रहा है।
समझौता अहम
बाइडन सरकार के चीन के संबंधों को लेकर जिस प्रकार की कड़वाहट रही है, उससे इस बात की उम्मीद कम थी कि दोनों देश जलवायु समझौते पर एक साथ कदम बढ़ाएंगे। इसलिए इस समझौते को दोनों देशों के संबंधों के संबंधों में सुधार और वैश्विक भू राजनीति के लिहाज से अहम माना जा रहा है। वर्ना दोनों देश जलवायु खतरों से निपटने के लिए अपने-अपने स्तर पर कार्य तो पहले से कर ही रहे हैं।
दरअसल, बाइडन के सत्ता में आने के बाद उनके विशेष जलवायु दूत जॉन कैरी विशेष रूप से सक्रिय रहे हैं। उन्होंने इस साल भारत और चीन की कई यात्राएं की थीं। तभी से समझौते की जमीन तैयार होने लगी थी। कैरी चाहते थे कि भारत नेट जीरो का ऐलान करे। चीन काफी पहले ही यह ऐलान कर चुका था। इसलिए जॉन कैरी ने बुधवार को जलवायु वार्ता के दौरान पहले भारत के साथ बैठक कर इंटरनेशनल सोलर एलायंस में शामिल होने का ऐलान किया। यह भारत की पहल है और इसके जरिये उन्होंने भारत के नेतृत्व में कार्य करने का संकेत दुनिया को दिया। उसके कुछ ही घंटों के बाद चीन से जलवायु समझौते का ऐलान कर चीन के साथ भी जलवायु मोर्चे पर कार्य करने की मंशा प्रदर्शित कर दी।
मिलकर काम करेंगे
चीन-अमेरिका की संयुक्त जलवायु घोषणा में कहा गया है कि दोनों देश 1.5 डिग्री की तापमान बढ़ोत्तरी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए मिलकर कार्य करेंगे। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जो महत्वपूर्ण गैप रह गए हैं, उन्हें तेजी से भरा जाएगा। इस घोषण में मीथेन उत्सर्जन कम करने, हरित ऊर्जा रुपांतरण, कार्बन कम करना आदि मुद्दे शामिल हैं। हालांकि हाल में हुए मीथेन समझौते पर चीन ने हस्ताक्षर नहीं किए थे। लेकिन इस घोषणा के बाद लगता है कि वह इस पर भी हस्ताक्षर कर सकता है।
बाइडन-जिनपिंग कर सकते हैं बैठक
इस जलवायु घोषणा के बाद शिन्हुआ समाचार एजेंसी के हवाले से कहा गया है कि अगले कुछ दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाडइन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक वर्चुअल बैठक भी हो सकती है।