मान्यता पाने की चाहत लिए नॉर्वे में बैठक कर रहे अफगानिस्तान की तालिबान सरकार, यूरोपीय देशों पर उठ रहे तमाम सवाल
अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की अगुवाई में तालिबान के एक प्रतिनिधिमंडल ने पश्चिमी देश नॉर्वे की सरकार के अधिकारियों और अफगान नागरिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ ओस्लो में रविवार से तीन दिवसीय वार्ता शुरू की.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी (Taliban Foreign Minister Amir Khan Muttaqi) की अगुवाई में तालिबान के एक प्रतिनिधिमंडल ने पश्चिमी देश नॉर्वे की सरकार के अधिकारियों और अफगान नागरिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ ओस्लो में रविवार से तीन दिवसीय वार्ता शुरू की (Taliban EU Talks). अफगानिस्तान (Afghanistan) में बिगड़ती मानवीय स्थिति के बीच यह वार्ता हो रही है. ये बैठक नॉर्वे की राजधानी ओस्लो के ऊपरी इलाके में बर्फ से ढके पहाड़ों पर बने एक होटल में हो रही है.
अगस्त में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद यह पहला मौका है, जब उनके प्रतिनिधियों ने यूरोप में आधिकारिक बैठक की हैं (Taliban Government in Afghanistan). इससे पहले, उन्होंने रूस, ईरान, कतर, पाकिस्तान, चीन और तुर्कमेनिस्तान की यात्रा की है. यह बैठक तालिबान के कब्जे से पहले अफगानिस्तान में मौजूद रहे उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के एक सदस्य देश नॉर्वे में हो रही है, ऐसे में इस बैठक ने इस बहस को फिर से छेड़ दिया है कि क्या यूरोपीय देश तालिबान सरकार को मान्यता देते हैं.
नॉर्वे सरकार को नाराज कर सकता है बयान
तालिबान के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य शफीउल्लाह आजम ने 'द एसोसिएटेड प्रेस' से कहा कि पश्चिमी अधिकारियों के साथ बैठकें 'अफगान सरकार (Afghan Government) को वैध बनाने की ओर एक कदम हैं' और 'इस प्रकार के निमंत्रण और संवाद से यूरोपीय समुदाय, अमेरिका और कई अन्य देशों से अफगान सरकार की गलत तस्वीर मिटाने में मदद मिलेगी.' यह बयान नॉर्वे सरकार को नाराज कर सकता है.
करीब 200 लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया
इससे पहले, नॉर्वे की विदेश मंत्री एनीकेन हुइटफेल्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि इस वार्ता का अर्थ 'तालिबान को वैध बताना या मान्यता देना नहीं है.' तालिबान के साथ बैठक के विरोध में रविवार को करीब 200 प्रदर्शनकारी नॉर्वे के विदेश मंत्रालय के कार्यालय के समक्ष एकत्रित हुए (Taliban Meeting Norway). तालिबान को किसी भी अन्य देश ने राजनयिक मान्यता नहीं दी है. तालिबान के प्रतिनिधियों ने रविवार को कुछ महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार के हिमायतियों से मुलाकात भी की है.