अफ़ग़ानिस्तान: तालिबान नेता मुल्ला बरादर ने अमेरिका की क्यों की है कड़ी निंदा, दुनिया की चुप्पी पर उठाए सवाल

कि वह इस कठिन परिस्थिति में अफगानिस्तान के लोगों का साथ नहीं छोड़ेगा.

Update: 2021-12-15 08:55 GMT

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर (Mullah Abdul Ghani Baradar) ने अमेरिका की कड़ी आलोचना की है. उसने मंगलवार को अफगानिस्तान की बैंकिंग संपत्ति पर रोक लगाने के अमेरिका के फैसले पर दुनिया की चुप्पी पर भी नाराजगी व्यक्त की. साथ ही कहा कि दुनिया ऐसे वक्त पर चुप है, जब अफगानिस्तान में आर्थिक संकट बढ़ रहा है. काबुल में पत्रकारों से बात करते हुए बरादर ने कहा कि अफगानिस्तान में हर दिन आर्थिक दिक्कतें बढ़ रही हैं. आर्थिक चुनौतियां क्षेत्र और दुनिया दोनों को प्रभावित कर सकती हैं.

बरादर ने कहा कि अमेरिका के अफगानिस्तान के साथ भी वैसे ही रिश्ते होने चाहिए, जैसे उसके दुनिया के बाकी देशों के साथ हैं. उसने कहा, 'अमेरिका अफगानिस्तान से जाने के कारण खुश नहीं है. और जो लोग यहां अमेरिका के साथी थे, वो आर्थिक दिक्कतें खड़ी करना चाहते हैं (Afghanistan Taliban News). दुनिया क्यों अमेरिका को यह नहीं बता रही कि वो पैसा अफगानिस्तान के लोगों का है, ना कि सरकारी अधिकारियों का. दिन प्रतिदिन आर्थिक दिक्कतें बढ़ रही हैं. जब देश में आर्थिक परेशानियां बढ़ती हैं, तो वह केवल एक देश को नहीं बल्कि दूसरे देशों को भी प्रभावित करती हैं.'
अमेरिका से एक मांग भी की
बरादर ने आगे कहा, 'हमारी एक ही मांग है कि अमेरिका अफगान लोगों और सरकार के प्रति वैसा ही व्यवहार करे जैसा दुनिया के साथ करता है.' बरादर ने ये बात व्हाइट हाउस (White House) की प्रेस सचिव जेन साकी के उस बयान के बाद कही है, जिसमें साकी ने सोमवार को कहा था कि अफगानिस्तान का फंड जारी करने की अभी कोई योजना नहीं है. साकी ने कहा था, 'ऐसी कई वजह हैं, जिनके कारण रकम अब तक सीज है.' अफगानिस्तान में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मुद्रा में भी भारी गिरावट देखी गई है (Afghanistan Seized Fund). जिसके कारण यहां सामान की कीमतों में बढ़ोतरी हो गई है.
कीमत चुका रहे अफगानी लोग
कार्यकर्ताओं (एक्टिविस्ट्स) का कहना है कि अफगानिस्तान के लोग तालिबान की दुनिया और अमेरिका के साथ जारी राजनीतिक समस्याओं की कीमत चुका रहे हैं. कार्यकर्ता टॉरपेके मोमांड ने कहा, 'देशों को मानवीय समर्थन को राजनीति से अलग रखना चाहिए. दुर्भाग्य से, हम राजनेताओं की राजनीति के शिकार हो गए हैं, हम विदेशियों की राजनीति के शिकार हैं.' दूसरी ओर आर्थिक और मानवीय संकट के बीच संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने हाल ही में कहा था कि वह इस कठिन परिस्थिति में अफगानिस्तान के लोगों का साथ नहीं छोड़ेगा.
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