अफगानिस्तान: राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान हमले के बीच सेना के प्रमुख को हटाया

अफगानिस्तान में तालिबान के हमले के बीच राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सेना प्रमुख को बदल दिया है. देश के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है और स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में भी यह बात कही गई है. रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि जनरल हिबतुल्लाह अलीजई ने जनरल वली अहमदजई की जगह अफगान सेना प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण किया.

Update: 2021-08-11 14:05 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :-  Afghanistan Army Chief Removed: अफगानिस्तान में तालिबान के हमले के बीच राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सेना प्रमुख को बदल दिया है. देश के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है और स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में भी यह बात कही गई है. रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि जनरल हिबतुल्लाह अलीजई ने जनरल वली अहमदजई की जगह अफगान सेना प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण किया.

अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर उस बदलाव पर चर्चा की जिसकी अभी तक सार्वजनिक रूप से घोषणा नहीं की गई है. स्थानीय मीडिया ने गनी के फैसले की व्यापक रूप से रिपोर्ट की. अफगान सरकार के अधिकारियों ने टिप्पणी के लिए बार-बार किए गए अनुरोध का जवाब नहीं दिया है.
पूरे पूर्वोत्तर हिस्से पर तालिबान का कब्जा
अफगानिस्तान में तालिबान ने तीन और सूबों की राजधानियों और सेना के स्थानीय मुख्यालय पर कब्जा कर लिया है. इसके साथ ही देश के पूर्वोत्तर हिस्से पर चरमपंथी संगठन का पूर्ण कब्जा हो गया है. यह जानकारी अधिकारियों ने बुधवार को दी. इसके साथ ही अब तालिबान के कब्जे में अफगानिस्तान का दो तिहाई हिस्सा चला गया है. तालिबान का कब्जा दो दशक की लड़ाई के बाद अमेरिकी और नाटो सैनिकों की अंतिम वापसी के बीच हुआ है.
पूर्वोत्तर में बदकशान और बगलान सूबे की राजधानी से लेकर पश्चिम में फराह प्रांत तक तालिबान के कब्जे में चला गया है जिससे देश की संघीय सरकार पर अपनी स्थिति मजबूत करने का दबाव बढ़ गया है क्योंकि कुंदुज प्रांत का अहम ठिकाना भी उसकी हाथ से निकल गया है. अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी तालिबान के कब्जे वाले इलाके से घिरे बाल्ख सूबा गए हैं ताकि तालिबान को पीछे धकेलने के लिए स्थानीय सरदारों से मदद मांगी जा सके.
लड़ाई के मैदान से भाग रहे सैनिक
तालिबान की बढ़त से फिलहाल काबुल पर सीधे तौर पर खतरा नहीं है लेकिन उसकी गति से सवाल पैदा हो रहे हैं कि अफगान सरकार कब तक अपने दूर दराज के इलाकों पर नियंत्रण रख सकेगी. कई मोर्चों पर सरकार के विशेष कार्रवाई बलों के साथ लड़ाई चल रही है जबकि नियमित सैनिकों के लड़ाई के मैदान से भागने की खबरे भी आ रही हैं. हिंसा की वजह से हजारों की संख्या में लोग शरण के लिए राजधानी पहुंच रहे हैं.
इस महीने के अंत तक अपने सैनिकों की वापसी पूरा करने वाला अमेरिका कुछ हवाई हमले कर रहा है लेकिन खुद को जमीनी लड़ाई में शामिल करने से बच रहा है. अफगान सरकार और सेना ने प्रतिक्रिया मांगे जाने के बाद इन हार पर टिप्पणी नहीं की है. पश्चिमी सूबे फराह के सांसद हुमायूं शहीदजादा ने बुधवार को एसोसिएटेड प्रेस के समक्ष पुष्टि की कि फराह नाम से ही जानी जाने वाली सूबे की राजधानी तालिबान के कब्जे में चली गई है. हाल में पड़ोसी सूबे निमरोज पर तालिबान ने एक सप्ताह के अभियान पर कब्जा कर लिया था


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