कनाडा के एक थिंक टैंक ने रिसर्च पेपर में कहा- रूस और चीन समेत मध्य एशिया में अपने पैर पसारना चाहता है इस्लामिक स्टेट

कनाडा के एक थिंक टैंक ने रिसर्च पेपर में कहा

Update: 2022-04-19 15:51 GMT
दमिष्क, एएनआइ। कनाडा के एक थिंक टैंक ने अपने रिसर्च पेपर में कहा कि सीरिया और इराक के इस्लामिक आतंकी संगठन जैसे आइएस अब मध्य एशिया तक अपनी पकड़ बनाने की कोशिश में लगे हैं। वह रणनीतिक स्थिति और कच्चे माल की आपूर्तिकर्ता की हैसियत में पहुंचने के लिए अब रूस और चीन पर अपना कब्जा चाहते हैं।
'मध्य एशिया में आतंकी खतरा : एक समस्या विभिन्न पहलू' शीर्षक वाले रिसर्च पेपर को विशिष्ट लेखक एलिसेंड्रो लुंडिनी ने तैयार किया है। कनाडा के थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फार राइट्स एंड सिक्योरिटी (आइएफएफआरएएस) की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आतंकी संगठन आइएस में अब जो भर्तियां हो रही हैं, वह आतंकी ज्यादातर रूस और चीन से ही आ रहे हैं। हजारों की तादाद में मध्य एशियाई देशों के लोग आइएस में शामिल हो रहे हैं। रूस और चीन जैसे देशों के युवा बड़ी तादाद में सीरिया या इराक जाकर आइएस या अन्य आतंकी संगठनों में शामिल हो रहे हैं।
शोध में यह भी बताया गया है कि आशंका यह भी जताई जा रही है कि यूरोप और एशिया के मिश्रित इलाकों में आइएस के घातक लड़ाके अपने पैर जमा सकते हैं। साथ ही उनकी रणनीति और विचारधाराओं के समर्थक बन सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह दावा बिना किसी आधार के नहीं किया जा रहा है। बल्कि पिछले साल अगस्त में उज्बेकिस्तान के कट्टरपंथी इस्लामिक आंदोलन के दौरान बहुत से लोगों ने आइएस जैसे आतंकी संगठनों की ओर अपना झुकाव दिखाया था। यह काफी खतरनाक बात है।
एक अन्य चिंता की बात यह भी है कि अफगानिस्तान में तालिबान भी तुर्कमेनिस्तान जैसे देशों की सीमाओं पर असर डाल सकता है। उल्लेखनीय है कि रूस इस्लामिक कट्टरपंथियों का प्रभाव कम करना चाहता है। इसीलिए उस जगह पर जिहादियों की बढ़ोतरी की आशंका बढ़ गई है। ऐसा ही दुष्प्रभाव पूरे मध्य एशिया में तुर्कमेनिस्तान से लेकर ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में भी देखा जा सकता है। इन देशों के आतंकियों की भर्ती रोकने के लिए इस क्षेत्र के देशों को एक साझा नीति बनाने का सुझाव दिया गया है।
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