टीकाकरण करा चुके 90 प्रतिशत भारतीयों को ओमिक्रोन से संक्रमण का खतरा: स्टडी

विश्व की अधिकांश वैक्सीन तेजी से बढ़ रहे कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट का संक्रमण रोकने में अक्षम साबित हो सकती हैं।

Update: 2021-12-20 01:13 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विश्व की अधिकांश वैक्सीन तेजी से बढ़ रहे कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट का संक्रमण रोकने में अक्षम साबित हो सकती हैं। एक प्राथमिक रिसर्च स्टडी के आधार पर यह बात कही गई है। भारत में टीकाकरण करा चुके 90 प्रतिशत लोगों पर भी ओमिक्रोन के संक्रमण का खतरा है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि यहां टीका लगवा चुके लोगों में ओमिक्रोन के संक्रमण के गंभीर रूप लेने की आशंका बहुत कम है। सामान्य लक्षणों के साथ लोग संक्रमित होंगे।

अलग-अलग देशों में प्रयोग की जा रही वैक्सीन की ओमिक्रोन का संक्रमण रोकने की क्षमता को लेकर ब्रिटेन में यह स्टडी की गई है और इसके अनुसार, केवल फाइजर और माडर्ना के टीके ही कोरोना के इस नए वैरिएंट का संक्रमण रोकने में सक्षम हैं। हालांकि, इसके लिए इन वैक्सीन की बूस्टर डोज लगवानी पड़ेगी। यह दोनों ही वैक्सीन विश्व के अधिकांश देशों में अनुपलब्ध हैं।
छह माह बाद वैक्सीन अप्रभावी
भारत के संदर्भ में स्टडी की बात करें तो इसमें कहा गया है कि टीका लगवाने के छह माह बाद आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन में ओमिक्रोन का संक्रमण रोकने की क्षमता बिल्कुल नहीं दिखी है। भारत में टीका लगवाने वाले 90 प्रतिशत लोगों ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ही कोविशील्ड ब्रांड नाम के तहत लगवाई है। इसी वैक्सीन की साढ़े छह करोड़ से अधिक डोज 44 अफ्रीकी देशों में भी वितरित की गई हैं। आरंभिक रिसर्च के अनुसार, जानसन एंड जानसन और रूस व चीन में बनीं वैक्सीन को भी ओमिक्रोन का संक्रमण रोकने में अक्षम या बहुत कम सक्षम पाया गया है। चूंकि विश्व के अधिकांश देशों का टीकाकरण कार्यक्रम इन्हीं वैक्सीन पर आधारित है इसलिए महामारी की नई लहर का असर व्यापक हो सकता है।
नए वैरिएंट का खतरा भी
विश्व में अरबों लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है और ऐसे में इनमें ओमिक्रोन के संक्रमण के खतरे के साथ नए वैरिएंट पनपने की आशंका भी बलवती हो गई है। यह रिसर्च मुख्यत: प्रयोगशाला के परिणामों पर आधारित है जोकि मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का पूरी तरह से संज्ञान नहीं लेते हैं। यह रिसर्च विश्व के लोगों पर हो रहे प्रभाव पर आधारित नहीं है, लेकिन फिर भी इसके परिणामों को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
टी सेल सक्रिय होने से बढ़ी उम्मीद
वैक्सीन लेने के बाद शरीर में बनने वाली एंटीबाडी वायरस के खिलाफ प्रथम प्रतिरोध पैदा करती हैं, लेकिन टीके से शरीर में टी सेल भी सक्रिय होती हैं। शुरुआती रिसर्च में पता चला है कि यह टी सेल ओमिक्रोन वैरिएंट की पहचान कर पा रही हैं और यह अच्छा संकेत है। इससे संक्रमण गंभीर नहीं हो पाएगा। न्यूयार्क में वील कार्नेल मेडिसिन के वायरस विशेषज्ञ जान मूरे के अनुसार, आप हल्के लक्षणों के साथ संक्रमित हो सकते हो, लेकिन अच्छी बात यह है कि बीमारी के गंभीर होने और मौत के खिलाफ आपकी प्रतिरोधक क्षमता बेहतर रहती है। यह अच्छी बात है कि अभी तक ओमिक्रोन वैरिएंट डेल्टा की तुलना में कम घातक दिख रहा है। अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक अध्ययन केंद्र के ग्लोबल हेल्थ पालिसी निदेशक जे. स्टीफन मोरिसन ने कहा कि बीमारी के गंभीर न होने की स्थिति भी ओमिक्रोन से विश्व में रुकावट की स्थिति बनेगी।
भारत के सुरक्षित रहने की उम्मीद
दिल्ली में सार्वजनिक स्वास्थ्य शोधकर्ता के रूप में काम करने वाले रमणन लक्ष्मीनारायणन का कहना है कि भारत में ओमिक्रोन का संक्रमण तेज होगा, लेकिन आशा है कि टीकाकरण और पूर्व में बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमित हो चुके होने के कारण भारत सुरक्षित रहेगा। लक्ष्मीनारायण ने कहा कि भारत में सरकार बूस्टर डोज पर विचार कर रही है, लेकिन यहां अब भी डेल्टा वैरिएंट से काफी खतरा है। सरकार बाकी बचे लोगों को टीका लगाने या अधिकांश को दो डोज लगाने और बुजुर्गों तथा अधिक खतरे वाले लोगों को बूस्टर डोज देने के विचार के बीच उलझी है।
इसलिए फाइजर और माडर्ना हैं असरदार
फाइजर और माडर्ना की वैक्सीन प्रभावकारी होने के पीछे कारण है कि यह दोनों एमआरएनए (संक्रमण रोकने के लिए वैक्सीन बनाने की एक विधि) तकनीक पर आधारित हैं। इस तकनीक से बनी वैक्सीन ने कोरोना के सभी वैरिएंट के संक्रमण के खिलाफ अच्छी प्रतिरोधक क्षमता दिखाई है। बाकी सभी वैक्सीन प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करने की पुरानी विधियों पर आधारित हैं। चीन में बनी वैक्सीन साइनोफार्म और साइनोवैक नए वैरिएंट का संक्रमण रोकने में पूरी तरह विफल बताई जा रही हैं। बता दें, यह विश्व में आपूर्ति की गई वैक्सीन में लगभग आधी यह दोनों वैक्सीन ही हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, रूस की स्पुतनिक वैक्सीन भी ओमिक्रोन के संक्रमण के खिलाफ लगभग न के बराबर प्रभावी होगी।
हमें तैयारी करनी चाहिए: गुलेरिया
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने रविवार को कहा कि यूनाइटेड किंगडम में ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों के बीच भारत को किसी आकस्मिकता की तैयारी कर लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद करनी चाहिए कि यूनाइटेड किंगडम की तरह यहां स्थिति गंभीर नहीं होगी। हमें ओमिक्रोन पर औरा डाटा की आवश्यकता है। विश्व में जहां भी मामले बढ़ें, हमें वहां के बारे में अध्ययन करना चाहिए और किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।
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