सेंट्रल अनहुई प्रांत में सामने आए 300 नए कोरोना मामले, चीन ने 17 लाख की आबादी वाले शहर में लगाया लॉकडाउन

चीन में कोरोना वायरस संक्रमण से एक बार फिर हालात बिगड़ रहे हैं.

Update: 2022-07-05 06:23 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन में कोरोना वायरस संक्रमण से एक बार फिर हालात बिगड़ रहे हैं. चीनी अधिकारियों ने देश के सेंट्रल अनहुई प्रांत (Central Anhui Province) में कोरोना वायरस संक्रमण के 300 मामलों की पुष्टि होने के बाद 17 लाख लोगों को लॉकडाउन में डाल में दिया है. चीन कोरोना संक्रमण (Coronavirus Infection) को लेकर शुरु से ही ज़ीरो-टॉलरेंस की नीति अपना रहा है. अनहुई प्रांत में पिछले सप्ताह अधिकारियों ने संक्रमण के एक सौ मामलों की पुष्टि की थी. लॉकडाउन ऐसे समय में लागू किया गया है जब महीनों के लॉकडाउन के बाद शांघाई (Shanghai) और राजधानी बीजिंग (Capital Beijing) में आर्थिक हालात सुधर रहे थे. अनहुई के सिग़्ज़ियान और लिंग्बी में पिछले हफ्ते लॉकडाउन लागू किया गया था और सख़्त आदेश के साथ उन्हें सिर्फ टेस्टिंग के लिए घर से बाहर निकलने की इजाज़त दी गई है.

चीन के नेशनल हेल्थ कमिशन (China National Health Commission) के मुताबिक़ प्रांत में सोमवार को संक्रमण के 287 नए मामले पाए गए थे जिनमें 258 बिना लक्षण वाले मरीज़ थे. इसके साथ ही यहां कुल संक्रमण के मामले एक हज़ार के पार पहुंच गए हैं. प्रांतीय गवर्नर वांग किंग़्ज़ियान (Wang Qingjian) ने स्थानीय ऑथोरिटी को इससे सख़्ती से निपटने के आदेश दिए हैं और रेपिड क्वारंटीन और स्क्रीनिंग के निर्देश दिए हैं. पड़ोसी जियांग्सू प्रांत (Jiangsu Province) में भी सोमवार को 56 नए मामलों की पुष्टि हुई थी. हालांकि चीन के आबादी के मुक़ाबले संक्रमण की संख्या कम है. स्थानीय अथॉरिटी का कहना है कि अधिकारिेयों का स्वास्थ्य आपदा से पहले संक्रमण के ख़िलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाना बेहद ज़रूरी है.
हालांकि ऐसी नीतियों की वजह से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (China Economy) को भारी नुक़सान का भी सामना करना पड़ता है. वहीं चीन सरकार द्वारा लागू किए गए लॉकडाउन के ख़िलाफ़ कई जगहों पर विरोध-प्ररदर्शन की ख़बरें भी सामने आई है. चीन के अंतरराष्ट्रीय आइसोलेशन की वजह से कई बिज़नेस और परिवार ने वहां से एग़्ज़िट कर लिया है. पिछले महीने ही चीनी ऑथोरिटी ने विदेशी नागरिकों के लिए क्वारंटीन की अवधि को घटाने जैसे कदम उठाए थे जिससे माना जा रहा था कि निवेशकों के फिर से निवेश शुरु करने से देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हो सकता है लेकिन अब हालात के बिगड़ने से ऐसा होने की गुंजाइश कम हो गई है.
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