यूक्रेन को लेकर व्लादिमीर पुतिन और जो बाइडन के बीच तनाव की ये रही 10 वजह
यूक्रेन की सीमा पर रूसी सैनिकों की तैनाती को लेकर अमेरिका और रूस के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूक्रेन की सीमा (Ukraine Tension) पर रूसी सैनिकों की तैनाती को लेकर अमेरिका और रूस (America-Russia Dispute) के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है. इसी बीच मंगलवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत करने वाले हैं. क्रेमलिन और वॉशिंगटन की ओर से यह जानकारी दी गई है.
इन सबके बीच यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि रूस अगले महीने आक्रमण कर सकता है. यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने कहा कि यूक्रेन और क्रीमिया के पास रूस के सैनिकों की अनुमानित संख्या 94,300 है और चेतावनी दी कि जनवरी में युद्ध भड़क सकता है. यूक्रेन ने अमेरिका और उसके सहयोगी नाटो (NATO) देशों से मदद मांगी है. आइए जानते हैं कि जो बाइडन और व्लादिमीर पुतिन के बीच आखिर क्या है टेंशन:-
संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस को चेतावनी दी है कि अगर वह यूक्रेन पर हमला करता है, तो उसे उच्च प्रभाव वाले आर्थिक प्रतिबंधों सहित गंभीर परिणाम का सामना करना पड़ेगा. वॉशिंगटन ने 2014 और 2015 में मिन्स्क में हस्ताक्षरित समझौतों पर अमल करने की अपील की है. ये समझौता यूक्रेनी सरकारी बलों और रूसी समर्थित अलगाववादियों के बीच युद्ध को समाप्त करने के लिए किए गए थे. इसपर अब तक अमल नहीं किया गया.
रूस का कहना है कि उसकी सेना की तैनाती नाटो और यूक्रेन के आक्रामक व्यवहार की प्रतिक्रिया है, जिसमें अमेरिकी रणनीतिक बमवर्षक उड़ानें और काला सागर में युद्धपोत युद्धाभ्यास शामिल हैं. रूस इस बात का दबाव बना रहा है कि अमेरिका यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किए जाने की गारंटी दे, लेकिन नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने पिछले सप्ताह कहा था कि अगर अन्य देश या गठबंधन विस्तार करना चाहते हैं, तो रूस का इससे कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए.
बाइडन प्रशासन के एक अधिकारी के अनुसार, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने पता लगाया है कि रूस ने यूक्रेन के साथ लगती सीमा पर करीब 70 हजार सैनिकों की तैनाती की है और अगले वर्ष की शुरुआत में उसने संभावित आक्रमण की योजना बनाई है. वहीं यूक्रेन की सेना पहले की तुलना में ज्यादा हथियारबंद और तैयार है और पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने से रूस की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचेगा.
क्रेमलिन ने शुक्रवार को कहा कि जो बाइडन के साथ फोन पर बातचीत में व्लादिमीर पुतिन इस बात की गारंटी चाहेंगे कि यूक्रेन को नाटो के विस्तार में शामिल नहीं किया जाए. अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है, तो बाइडन प्रशासन के पास रूस को वित्तीय नुकसान पहुंचाने के अपने संकल्प को पूरा करने के कई विकल्प हैं, जिनमें पुतिन के सहयोगियों को लक्ष्य बनाने वाले प्रतिबंध लागू करने से लेकर दुनियाभर में धन प्रवाहित करने वाली वित्तीय प्रणाली से रूस को काटना शामिल है.
अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों ने यूक्रेन पर रूसी हमले की स्थिति में कोई सैन्य कदम उठाने की घोषणा नहीं की है, लेकिन वे उसे वित्तीय नुकसान पहुंचा सकते हैं. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस सप्ताह कहा था, 'हम अत्यधिक प्रभावित करने वाले वे वित्तीय कदम उठाएंगे, जिन्हें हम अतीत में उठाने से बचते रहे हैं.'
संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस के सहयोगी बेलारूस पर मध्य पूर्व के प्रवासियों को "हथियार" करने का आरोप लगाया है, जिससे हजारों लोगों को यूरोपीय संघ में अपने क्षेत्र से प्रवेश करने की कोशिश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इससे यूरोपीय संघ के लिए संकट पैदा हो गया है. रूस ने बेलारूस के नेता अलेक्जेंडर लुकाशेंको का समर्थन किया है, जिसमें बेलारूसी हवाई क्षेत्र में गश्त करने के लिए परमाणु सक्षम युद्धक विमान भेजना शामिल है.
अमेरिका ने कहा है कि रूस गैस की सप्लाई बढ़ाकर यूरोप में ऊर्जा की कमी को और कम कर सकता है. अमेरिका ने रूस को चेतावनी दी है कि वह विशेष रूप से यूक्रेन के खिलाफ एक राजनीतिक हथियार के रूप में ऊर्जा का उपयोग न करे. अमेरिका ने बाल्टिक सागर के नीचे एक नवनिर्मित गैस पाइपलाइन नॉर्ड स्ट्रीम 2 में शामिल रूसी संस्थाओं के खिलाफ प्रतिबंध भी लगाए हैं.
रूस और अमेरिका ने 'जैसे को तैसा' की तर्ज पर एक-दूसरे के दूतावासों के आकार को छोटा कर दिया है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने 2 दिसंबर को सुझाव दिया कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां दोनों देश एक रेखा खींचना चाहते हैं. दोनों देश प्रतिनिधित्व की सीमाओं को हटाकर नए सिरे से शुरुआत कर सकते हैं.
अमेरिका ने रूसी सरकार या रूसी क्षेत्र में काम करने वाले हैकरों पर अमेरिकी राजनीतिक दलों, कंपनियों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के खिलाफ बढ़ते साइबर हमले का आरोप लगाया है. रूस ऐसे किसी साइबर हमले से इनकार करता आया है.
जो बाइडन के पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद दोनों देशों ने अपने रणनीतिक परमाणु शस्त्रागार के आकार को सीमित करते हुए एक महत्वपूर्ण समझौता किया. जिनेवा में उन्होंने भविष्य के हथियारों के नियंत्रण और जोखिम में कमी के उपायों के लिए नींव रखने का वादा किया था. बाइडन ने कहा था कि यह पता लगाने में छह महीने से एक साल तक का समय लगेगा कि क्या एक सार्थक रणनीतिक बातचीत संभव है. अब तक इस ओर प्रगति के कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं.