इमरान खान पार्टी के 'दगाबाजों' को नहीं बख्शेंगे, खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, जीवनभर चुनाव लड़ने पर लगवाना चाहते हैं बैन
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में हटाए जाने के कुछ दिनों बाद इमरान खान ने बागी सांसदों को अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री के रूप में हटाए जाने के कुछ दिनों बाद इमरान खान (Imran Khan) ने बागी सांसदों को अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. बागी सांसदों के चलते ही इमरान की सरकार गिर गई. दरअसल, इमरान ने अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के असंतुष्ट सांसदों को नेशनल असेंबली से अयोग्य घोषित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इमरान द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि असंतुष्ट सांसदों को जीवनभर के लिए संसदीय मामलों से अयोग्य घोषित किया जाए. साथ ही अगर कोई पार्टी छोड़ता है, तो उसे दलबदल करने के बजाय पहले संसद से इस्तीफा देना होगा.
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, जिस दिन शाहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) को पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के तौर पर चुना गया. उस दिन पीटीआई ने सत्र का बहिष्कार किया और देश की संसद के निचले सदन से सामूहिक इस्तीफे की घोषणा की थी. याचिका में पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी), नेशनल असेंबली के स्पीकर, कानून सचिव और कैबिनेट सचिव को पार्टियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. इसे संविधान के अनुच्छेद 184 (3) के तहत दायर किया गया है. इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के पास मामले की सुनवाई का अधिकार है, क्योंकि कानून के तहत ये मामला सार्वजनिक महत्व वाला है.
इमरान की याचिका में और क्या कहा गया?
याचिका में कहा गया कि अगर कोई सांसद दल बदल करता है और अपनी वफादारी दूसरी पार्टियों की तरफ शिफ्ट करता है, तो वह सच्चा और ईमानदार नहीं है. इसमें कहा गया, 'एक निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते दलबदल पर पर संवैधानिक रूप से रोक लगी है और ऐसा करना नैतिक रूप से निंदनीय है. अगर वे ऐसा करते हैं, तो अपने वोटों की गिनती के लिए अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं.' याचिका में कहा गया कि असंतुष्ट पार्टी सांसदों को आजीवन प्रतिबंधित न किए जाने का कोई वजह नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि दलबदल राजनीति में किसी कैंसर की बीमारी से कम नहीं है और ये लोकतांत्रिक शासन की भावना को नष्ट कर देता है.
चुनाव आयोग से भी सांसदों को अयोग्य घोषित करने की मांग की
इससे पहले, इमरान की पार्टी ने अपने 20 असंतुष्ट सदस्यों के खिलाफ पाकिस्तान चुनाव आयोग को एक रेफरेंस भेजा. इसमें पार्टी के अनुशासन का उल्लंघन करने और दलबदल करने को लेकर उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल असेंबली सचिवालय के सूत्रों ने पुष्टि की कि सदस्यों के खिलाफ पीटीआई नेतृत्व से रेफरेंस प्राप्त हुए थे. इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटा दिया गया था. अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में 174 सदस्यों ने वोट किया था. इस तरह अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से हटाए जाने वाले इमरान पहले प्रधानमंत्री बने.