जर्मनी में चुनाव से पहले कोरोना प्रतिबंधों के खिलाफ हिंसा फैलाने की थी साजिश, फेसबुक ने उठाया ये कदम
जर्मनी में इस साल होने वाले संघीय चुनावों से पहले काफी उथल-पुथल का माहौल बना हुआ था।
जर्मनी में इस साल होने वाले संघीय चुनावों से पहले काफी उथल-पुथल का माहौल बना हुआ था। दरअसल, कोरोनावायरस के चलते जर्मनी में अंगेला मर्केल की सरकार ने कड़े प्रतिबंधों का एलान किया था। जर्मनी में लगे प्रतिबंधों को पूरे यूरोप में सबसे सख्त कहा गया था। बताया गया है कि इसके खिलाफ कुछ लोगों ने चुनाव से ठीक पहले हिंसक प्रदर्शनों की तैयारी कर ली थी। कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कोरोना को लेकर गलत जानकारियों का सिलसिला भी शुरू किया गया था। ऐसे समय में फेक न्यूज और बहकाने वाली जानकारी को रोकने के लिए फेसबुक ने उनके स्रोतों को ही खत्म करने के कदम उठाए। इसका नतीजा यह हुआ है कि जर्मनी में छिटपुट घटनाओं को छोड़ दिया जाए, तो चुनाव काफी हद तक शांतिपूर्ण ढंग से हुए।
एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक, फेसबुक ने जर्मनी में पहली बार अपनी नई नीति के तहत 16 सितंबर को ऐसे अकाउंट्स पर प्रतिबंध लगाने शुरू किए, जो खुद गलत जानकारियों का ठिकाना थे या जहां से फेक न्यूज के अभियान शुरू किए गए। कुछ एंटी-कोरोना एक्टिविस्ट्स ने लॉकडाउन के खिलाफ अपने हिंसक अभियान को क्वेरडेंकेन मूवमेंट नाम जिया था। फेसबुक ने सीधा इस अभियान को टारगेट करते हुए इससे जुड़े 150 अकाउंट्स, पेज और ग्रुप्स पर प्रतिबंध लगा दिया। इसका नतीजा यह रहा कि जर्मनी में चुनाव आते-आते वैक्सीन और मास्क के खिलाफ प्रदर्शन में जुटे लोगों की संख्या में बड़ी कमी आ गई।
फेसबुक ने अपने इस अभियान को हेट स्पीच और घातक सामग्री के खिलाफ नए तरीके की प्रतिक्रिया करार दिया था। हालांकि, दक्षिणपंथी समर्थकों ने फेसबुक की सेंसरशिप को तानाशाही करार दिया। हालांकि, फेसबुक से जुड़े प्लेटफॉर्म्स पर अभी जो कंटेंट मौजूद है, उससे पता चलता है कि सोशल मीडिया कॉरपोरेशन की कार्रवाई काफी हद तक मध्यमार्गीय रहीं।
चुनाव में दखल देने वालों को बैन करता रहा है फेसबुक
गौरतलब है कि फेसबुक पहले भी पत्रकारों को अपनी नीति के तहत बैन किए गए अकाउंट्स की जानकारी देता रहा है। खासकर ऐसे अकाउंट्स की, जिनमें गलत जानकारी फैलाने के लिए एक जैसे पोस्ट्स किए जाते हैं। फेसबुक ने इस तरह की कार्रवाई 2018 में शुरू की थी और तब से लेकर अब तक यह कंपनी गलत जानकारियों का प्रसार करने वाले हजारों खातों को बंद कर चुकी है।