जिंदल यूनिवर्सिटी ने राम मंदिर पर आपत्तिजनक चर्चा वाले पोस्टर लगाने वाले छात्र को किया सस्पेंड
ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने एक छात्र को सस्पेंड कर दिया
सोनीपत न्यूज़: हरियाणा के ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में राम मंदिर पर आपत्तिजनक चर्चा और पोस्टरबाजी करने वाले छात्र को सस्पेंड कर दिया गया है. यूनिवर्सिटी के चीफ कम्यूनिकेशन अफसर अंजू मोहन ने जानकारी दी कि यूनिवर्सिटी में छात्रों के आचरण को लेकर कुछ दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. इन निर्देशों के उल्लंघन पर मुख्य प्रॉक्टर की ओर से राम मंदिर पर आपत्तिजनक चर्चा करने और पोस्टर लगाने वाले छात्र को सस्पेंड किया गया है. हालांकि चीफ कम्यूनिकेशन अफसर ने इससे ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया.
यूनिवर्सिटी स्टूडेंट डिसिप्लिन कमेटी (USDC) ने 10 फरवरी को एक छात्र को दिए नोटिस में कहा कि आप कथित तौर पर छात्र आचार संहिता के गंभीर उल्लंघन में शामिल थे. आपको पोस्टर लगाते और आपत्तिजनक चर्चा में शामिल पाया गया, जिसमें बेहद अपमानजनक और उत्तेजक शब्द या वाक्यांश शामिल थे, जिनका उद्देश्य विश्वविद्यालय क्षेत्र की अखंडता और शांति को हानिकारक रूप से प्रभावित करना था.
छात्रों के सस्पेंशन वाले नोटिस में क्या कहा गया?
छात्रों के सस्पेंशन वाले नोटिस में कहा गया कि USDC के सदस्यों ने सर्वसम्मति से दोषी छात्र को सस्पेंड करने का फैसला किया. यूनिवर्सिटी ने छात्र को बाकी बचे सेमेस्टर के लिए सस्पेंड कर दिया और कहा कि उसे 1 अगस्त को परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी. उसके और उसके माता-पिता की ओर से दो वचनपत्र जमा किया जाए, जिसमें आचार संहिता के किसी भी अन्य उल्लंघन के लिए जिम्मेदारी ली जाए.
आखिर यूनिवर्सिटी में हुआ क्या था?
7 फरवरी को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के अग्रणी संगठन रिवोल्यूशनरी स्टूडेंट्स लीग (RSL) ने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में 'राम मंदिर: ब्राह्मणवादी हिंदुत्व फासीवाद का एक हास्यास्पद प्रोजेक्ट' नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया. आरोप है कि इस चर्चा के दौरान संगठन से जुड़े छात्रों ने अयोध्या में बने राम मंदिर को ध्वस्त करने और उसके स्थान पर एक मस्जिद के निर्माण का प्रस्ताव रखा.
कार्यक्रम के आयोजकों ने तर्क दिया कि राम मंदिर की अवधारणा शैक्षणिक संस्थानों के भीतर भगवाकरण की एक बड़ी प्रवृत्ति के अलावा, पूरे भारत में मुसलमानों और दलितों के खिलाफ किए गए घृणा अपराधों से जुड़ी हुई है. उन्होंने दावा किया कि 22 जनवरी का प्राण प्रतिष्ठा समारोह 'ब्राह्मणवादी हिंदुत्व फासीवादी शासन' की अंतर्निहित क्रूरता और जन-विरोधी प्रकृति को उजागर करता है. रिवोल्यूशनरी स्टूडेंट्स लीग ने अपने इवेंट ब्रोशर में उपस्थित लोगों से भीमा कोरेगांव के आरोपी वरवरा राव की विवादास्पद किताब 'फाइट ब्राह्मणिकल हिंदुत्व फासीवाद' पढ़ने का भी आग्रह किया.