ये टीके टिकाऊ नहीं!

कोविड- 19 संक्रमण की रोकथाम के लिए जिन टीकों पर अभी सबकी आस टिकी है

Update: 2021-04-01 02:00 GMT

कोविड- 19 संक्रमण की रोकथाम के लिए जिन टीकों पर अभी सबकी आस टिकी है, संभव है कि उनका असर टिकाऊ ना हो। अभी तक बने सभी वैक्सीन के एक साल से भी कम समय में बेअसर हो जाने का अंदेशा है। जाहिर है, तब नए या मौजूदा वैक्सीन के अपडेटेड वर्जन की जरूरत पड़ेगी। ये राय महामारी, संक्रामक रोग और वायरस विशेषज्ञों की है। उनके बीच किए गए एक सर्वे से सामने यह आया कि या तो सबका तुरंत टीकाकरण हो, या फिर नए वैक्सीन को तैयार करने की तैयारी शुरू कर दी जाए। आई है। विशेषज्ञों ने ये बात पहले भी कही थी कि कोरोना वायरस अपने नए रूप उत्पन्न कर सकता है। तब कहा गया था कि नए रूप अपेक्षाकृत अधिक संक्रामक और घातक होंगे। संभव है कि वे पुराने वैक्सीन से काबू में ना आएं। अब सचमुच ऐसा होने लगा है। सर्वे में शामिल 88 फीसदी विशेषज्ञों ने कहा कि इन वैक्सीन को बेअसर करने वाले कोविड- 19 के नए रूप तेजी से इसलिए सामने आ रहे हैं, क्योंकि बहुत से देशों में टीकाकरण की दर बहुत कम है। यानी जब तक हम पूरा टीकाकरण नहीं करते, तब तक वायरस के नए रूपों के लिए मैदान खुला छोड़ रखा गया है।

सर्वे में विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया कि अभी जिन वैक्सीन का उपयोग हो रहा है, उनमें मुताबिक फाइजर/ बायोएनटेक और मॉडेरना कंपनियों ने ही ऐसी तकनीक का उपयोग किया है, जिससे उनके वैक्सीन वायरस के नए रूपों से भी बचाव कर सकते हैँ। लेकिन उनके वैक्सीन महंगे हैं और उनका रखरखाव भी गरीब देशों के वश में नहीं है। इन वैक्सीन को अत्यंत निम्न तापमान पर रखना पड़ता है। ये सर्वे गैर-सरकारी पीपुल्स वैक्सीन एलायंस ने किया। ये एलांयस बनाने वालों संगठनों में एमनेस्टी इंटरनेशनल, ऑक्सफेम और यूएनऐड्स शामिल हैं। सर्वे में 28 देशों के 77 विशेषज्ञ शामिल हुए। उनमें से लगभग दो तिहाई ने कहा कि मौजूदा वैक्सीन एक साल तक प्रभावी रहेंगे। जबकि एक तिहाई विशेषज्ञों की राय है कि ये वैक्सीन सिर्फ नौ महीनों या उससे भी कम समय तक कारगर रहेंगे। इसका निष्कर्ष यह है कि कोरोना वायरस जैसी महामारियों से लड़ाई वैश्विक है। ऐसे मामलों में पूरी दुनिया एक नाव पर सवार है। यानी बचेंगे तो सभी और नहीं तो फिर कोई नहीं! इस निष्कर्ष से दुनिया ने सबक नहीं लिया, तो फिर सबको डूबने के लिए तैयार रहना चाहिए।


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