साबूदाने की खेती देगा बड़ा फायदा

कितना फायदा होता है?

Update: 2023-05-07 16:01 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | Tapioca Farming Business Idea, साबूदाने की खेती का बिजनेस देगा बड़ा फायदा: साबूदाने का खीर हम सभी अपने अपने घरों में अक्सर खाते ही रहते हैं। लेकिन कभी आपने सोचा है कि यह कैसे बनता है? क्या यह इसी रूप में पेड़ पर लगता है या फैक्ट्री में बनता है? क्या हम इसके बिजनेस कर सकते हैं? इसके बिजनेस में कितना फायदा होता है?

जी हां दोस्तों, आज हम इसी सभी प्रश्नों के उत्तर जानेंगे। आपको साबूदाने की खेती का बिजनेस आइडिया (Tapioca Farming Business Ideas Idea) बताने जा रहे हैं। अगर आप इसकी खेती करते हैं तो आपके लिए काफी फायदे का बिजनेस हो सकता है।

Tapioca Farming Business Idea| कसावा या साबूदाने की खेती

Table of Contents

Tapioca Farming Business Idea| कसावा या साबूदाने की खेती

Tapioca Farming Business Idea| साबूदाना किस पेड़ से मिलता है?

Tapioca Farming Business Idea| साबूदाना या कसावा की खेती कैसे की जाती है?

कसावा या साबूदाना (Tapioca) की खेती की विधि

कसावा (Tapioca) से साबूदाना कैसे बनता है?

Tapioca FAQs:

साबूदाना किस पौधे से प्राप्त होता है?

साबूदाने या कसावा का पौधा किस मिट्टी में लग सकता है?

टैपियोका या कसावा के पौधे के बीज को बोया जाता है या टहनी लगाया जाता है?

टैपियोका या साबूदाने की खेती भारत में अधिकतर किस राज्य में होती है?

टैपियोका का दूसरा नाम क्या है?

टैपियोका कहां पाया जाता है?

टैपियोका को हिंदी में क्या कहते हैं?

टैपियोका को भारत में क्या कहते हैं?

दोस्तों, साबूदाने का खीर बहुत ही पौष्टिक होता है। इसमें अनेक प्रकार के पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं जैसे कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन, विटामिन आदि। इसी कारण से व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष भी इसका इस्तेमाल करते हैं ताकि उन्हें ऊर्जा मिल सके।

सालों भर इसकी डिमांड मार्केट में बनी रहती है जिसके कारण ऊंची कीमत भी मिल जाती है। हम पूरा विस्तार से जानेंगे कि साबूदाने की खेती का बिजनेस आइडिया (Tapioca Farming Business Ideas Idea) कितना फायदेमंद होगा। और साबूदाने को हैं कैसे तैयार कर बेच सकते हैं।

Tapioca Farming Business Idea| साबूदाना किस पेड़ से मिलता है?

साबूदाने को जिस रूप में हम देखते हैं, उस रूप में यह नहीं मिलता है। यह प्रोसेसिंग की प्रक्रिया के बाद इस रूप में आता है। दरअसल साबूदाने या टैपियोका (Tapioca) को Manihot esculenta) नामक कंद से प्राप्त किया जाता है। टैपियोका को कसावा भी कहा जाता है। इसके कंद जो जमीन के नीचे होता है शकरकंद की तरह होता है। उस कंद को प्रसंस्कृत करने के बाद उससे साबूदाना तैयार किया जाता है।

कसावा या साबूदाना विश्व के उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है। यह पौधा दक्षिण अमेरिकी मूल का प्रजाति है। अफ्रीका महाद्वीप से होते हुए 19वीं सदी में भारतीय उप महाद्वीप में आया। भारत में यह दक्षिण के राज्यों केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश आदि में अधिक मात्रा में उपजाया जाता है l

Tapioca Farming Business Idea| साबूदाना या कसावा की खेती कैसे की जाती है?

कसावा या साबूदाने की खेती गर्म प्रदेशों में जहां तेज धूप और आर्द्रता अधिक हो वहां अच्छी पैदावार होती है। कम उपजाऊ मिट्टी में भी इसकी अच्छी पैदावार होती है। वैसे यह भारत की जलवायु और मिट्टी में कहीं भी उगाया जा सकता है। बस लगाने के समय भिन्न हो सकते हैं। क्योंकि भारत की जलवायु इसके अनुकूल है।

कसावा या साबूदाना (Tapioca) की खेती की विधि

कसावा या साबूदाने (Tapioca) की खेती साल में कभी भी की जा सकती है। लेकिन दिसंबर महीना इसके लिए अनुकूल होता है। टैपियोका की खेती करने के लिए इसके पौधे की टहनी को काट कर मिट्टी में लगाया जाता है। टहनी को कटिंग करने के बाद इसे रसायनिक घोल में उपचारित किया जाता है। 2 से 3 सेंटीमीटर व्यास वाले परिपक्व तने को 15 से 20 सेंटीमीटर लंबा रखें। लगाते हुए इसे 5 सेंटीमीटर गहरा जमीन में डालें।

टहनी के कठोर भाग को काट कर हटा दें और ऊपरी भाग को लगाएं। अच्छी तरह से जूते हुए खेत में क्यारी बना कर इसे एक मीटर की दूरी पर लगाएं। लगाने के तुरंत बाद इसकी जड़ों में नमी बनी रहे इसके लिए इसकी हल्की सिंचाई करें। और बाद में नियमित अंतराल पर आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें। लगाने के लगभग 15 दिन बाद इसकी टहनी में नई पत्तियां उगने लगती है और अंकुरण शुरू हो जाता है।

इसकी पैदावार किसी भी प्रकार की मिट्टी में हो सकती है। लेकिन अधिक अम्लीय और क्षारीय मिट्टी इसके लिए ठीक नहीं होती है। मिट्टी में अधिक आर्द्रता भी इसके लिए ठीक नहीं होता। लगाने से पहले खेत की अच्छी जुताई करलें। मिट्टी हल्की और भुरभुरी होनी चाहिए। और खेत में क्यारियां बना लें। टहनी को क्यारियों के ऊपर लगाएं ताकि पानी जड़ में नहीं जमे और नाले से खेत से बाहर निकल जाए।

पौधे को लगाने के 8 महीने बाद इसकी तने की कटाई और 12 महीने बाद कंद की खुदाई के लिए पौधा तैयार हो जाता है। समय पूरा होने के बाद आप कसावा की कंद को मिट्टी से खोद कर निकाल लें। अब इसे साबूदाना का रूप देने के लिए अगले चरण से गुजरना होगा। साबूदाने की खेती का बिजनेस आइडिया (Tapioca Farming Business Ideas Idea) को समझने की यह अगली स्टेज है।

कसावा (Tapioca) से साबूदाना कैसे बनता है?

कसावा का कंद जब जमीन से निकाल लिया जाता है, उसके बाद इसे प्रोसेस किया जाता है। इस प्रक्रिया में इसके गुदे वाले भाग को निकाला जाता है और पाउडर बनाया जाता है। कसावा के कंद में स्टार्च अत्यधिक मात्रा में होता है जिसे ही साबूदाने का रूप दिया जाता है। कसावा के कंद को बड़े बड़े बर्तनों में पानी में डुबोकर रखा जाता है। यह एक लंबी प्रक्रिया होती है। जब कसावा का केवल गुदा बच जाता है तब इसे सुखा कर पीसा जाता है और पाउडर बनाया जाता है। उसके बाद इसे मशीन में डाल कर दानेंका स्वरूप दिया जाता है। जो हमारे घरों तक पहुंचता है।

साबूदाना तैयार होने के बाद इसकी पैकिंग और लेबलिंग की जाती है। मार्केट में 40 से 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से यह बिकता है। इससे किसान को अच्छी आमदनी होती है। आप भी यदि अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं तो साबूदाने की खेती का बिजनेस आइडिया

Tapioca Farming Business Idea, साबूदाने की खेती का बिजनेस देगा बड़ा फायदा: साबूदाने का खीर हम सभी अपने अपने घरों में अक्सर खाते ही रहते हैं। लेकिन कभी आपने सोचा है कि यह कैसे बनता है? क्या यह इसी रूप में पेड़ पर लगता है या फैक्ट्री में बनता है? क्या हम इसके बिजनेस कर सकते हैं? इसके बिजनेस में कितना फायदा होता है?

जी हां दोस्तों, आज हम इसी सभी प्रश्नों के उत्तर जानेंगे। आपको साबूदाने की खेती का बिजनेस आइडिया (Tapioca Farming Business Ideas Idea) बताने जा रहे हैं। अगर आप इसकी खेती करते हैं तो आपके लिए काफी फायदे का बिजनेस हो सकता है।

Tapioca Farming Business Idea| कसावा या साबूदाने की खेती

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Tapioca Farming Business Idea| कसावा या साबूदाने की खेती

Tapioca Farming Business Idea| साबूदाना किस पेड़ से मिलता है?

Tapioca Farming Business Idea| साबूदाना या कसावा की खेती कैसे की जाती है?

कसावा या साबूदाना (Tapioca) की खेती की विधि

कसावा (Tapioca) से साबूदाना कैसे बनता है?

Tapioca FAQs:

साबूदाना किस पौधे से प्राप्त होता है?

साबूदाने या कसावा का पौधा किस मिट्टी में लग सकता है?

टैपियोका या कसावा के पौधे के बीज को बोया जाता है या टहनी लगाया जाता है?

टैपियोका या साबूदाने की खेती भारत में अधिकतर किस राज्य में होती है?

टैपियोका का दूसरा नाम क्या है?

टैपियोका कहां पाया जाता है?

टैपियोका को हिंदी में क्या कहते हैं?

टैपियोका को भारत में क्या कहते हैं?

दोस्तों, साबूदाने का खीर बहुत ही पौष्टिक होता है। इसमें अनेक प्रकार के पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं जैसे कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन, विटामिन आदि। इसी कारण से व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष भी इसका इस्तेमाल करते हैं ताकि उन्हें ऊर्जा मिल सके।

सालों भर इसकी डिमांड मार्केट में बनी रहती है जिसके कारण ऊंची कीमत भी मिल जाती है। हम पूरा विस्तार से जानेंगे कि साबूदाने की खेती का बिजनेस आइडिया (Tapioca Farming Business Ideas Idea) कितना फायदेमंद होगा। और साबूदाने को हैं कैसे तैयार कर बेच सकते हैं।

Tapioca Farming Business Idea| साबूदाना किस पेड़ से मिलता है?

साबूदाने को जिस रूप में हम देखते हैं, उस रूप में यह नहीं मिलता है। यह प्रोसेसिंग की प्रक्रिया के बाद इस रूप में आता है। दरअसल साबूदाने या टैपियोका (Tapioca) को Manihot esculenta) नामक कंद से प्राप्त किया जाता है। टैपियोका को कसावा भी कहा जाता है। इसके कंद जो जमीन के नीचे होता है शकरकंद की तरह होता है। उस कंद को प्रसंस्कृत करने के बाद उससे साबूदाना तैयार किया जाता है।

कसावा या साबूदाना विश्व के उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है। यह पौधा दक्षिण अमेरिकी मूल का प्रजाति है। अफ्रीका महाद्वीप से होते हुए 19वीं सदी में भारतीय उप महाद्वीप में आया। भारत में यह दक्षिण के राज्यों केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश आदि में अधिक मात्रा में उपजाया जाता है l

Tapioca Farming Business Idea| साबूदाना या कसावा की खेती कैसे की जाती है?

कसावा या साबूदाने की खेती गर्म प्रदेशों में जहां तेज धूप और आर्द्रता अधिक हो वहां अच्छी पैदावार होती है। कम उपजाऊ मिट्टी में भी इसकी अच्छी पैदावार होती है। वैसे यह भारत की जलवायु और मिट्टी में कहीं भी उगाया जा सकता है। बस लगाने के समय भिन्न हो सकते हैं। क्योंकि भारत की जलवायु इसके अनुकूल है।

कसावा या साबूदाना (Tapioca) की खेती की विधि

कसावा या साबूदाने (Tapioca) की खेती साल में कभी भी की जा सकती है। लेकिन दिसंबर महीना इसके लिए अनुकूल होता है। टैपियोका की खेती करने के लिए इसके पौधे की टहनी को काट कर मिट्टी में लगाया जाता है। टहनी को कटिंग करने के बाद इसे रसायनिक घोल में उपचारित किया जाता है। 2 से 3 सेंटीमीटर व्यास वाले परिपक्व तने को 15 से 20 सेंटीमीटर लंबा रखें। लगाते हुए इसे 5 सेंटीमीटर गहरा जमीन में डालें।

टहनी के कठोर भाग को काट कर हटा दें और ऊपरी भाग को लगाएं। अच्छी तरह से जूते हुए खेत में क्यारी बना कर इसे एक मीटर की दूरी पर लगाएं। लगाने के तुरंत बाद इसकी जड़ों में नमी बनी रहे इसके लिए इसकी हल्की सिंचाई करें। और बाद में नियमित अंतराल पर आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें। लगाने के लगभग 15 दिन बाद इसकी टहनी में नई पत्तियां उगने लगती है और अंकुरण शुरू हो जाता है।

इसकी पैदावार किसी भी प्रकार की मिट्टी में हो सकती है। लेकिन अधिक अम्लीय और क्षारीय मिट्टी इसके लिए ठीक नहीं होती है। मिट्टी में अधिक आर्द्रता भी इसके लिए ठीक नहीं होता। लगाने से पहले खेत की अच्छी जुताई करलें। मिट्टी हल्की और भुरभुरी होनी चाहिए। और खेत में क्यारियां बना लें। टहनी को क्यारियों के ऊपर लगाएं ताकि पानी जड़ में नहीं जमे और नाले से खेत से बाहर निकल जाए।

पौधे को लगाने के 8 महीने बाद इसकी तने की कटाई और 12 महीने बाद कंद की खुदाई के लिए पौधा तैयार हो जाता है। समय पूरा होने के बाद आप कसावा की कंद को मिट्टी से खोद कर निकाल लें। अब इसे साबूदाना का रूप देने के लिए अगले चरण से गुजरना होगा। साबूदाने की खेती का बिजनेस आइडिया (Tapioca Farming Business Ideas Idea) को समझने की यह अगली स्टेज है।

कसावा (Tapioca) से साबूदाना कैसे बनता है?

कसावा का कंद जब जमीन से निकाल लिया जाता है, उसके बाद इसे प्रोसेस किया जाता है। इस प्रक्रिया में इसके गुदे वाले भाग को निकाला जाता है और पाउडर बनाया जाता है। कसावा के कंद में स्टार्च अत्यधिक मात्रा में होता है जिसे ही साबूदाने का रूप दिया जाता है। कसावा के कंद को बड़े बड़े बर्तनों में पानी में डुबोकर रखा जाता है। यह एक लंबी प्रक्रिया होती है। जब कसावा का केवल गुदा बच जाता है तब इसे सुखा कर पीसा जाता है और पाउडर बनाया जाता है। उसके बाद इसे मशीन में डाल कर दानेंका स्वरूप दिया जाता है। जो हमारे घरों तक पहुंचता है।

साबूदाना तैयार होने के बाद इसकी पैकिंग और लेबलिंग की जाती है। मार्केट में 40 से 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से यह बिकता है। इससे किसान को अच्छी आमदनी होती है। आप भी यदि अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं तो साबूदाने की खेती का बिजनेस आइडिया

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