सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों को दी सख्त चेतावनी, लोगों को बहकाया होगी कार्रवाई
केंद्र सरकार ने खुलेआम उपभोक्ताओं को बरगलाने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को कारोबार के गलत हथकंडे बंद करने की अंतिम चेतावनी दी है। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने Amazon, Flipkart और Meesho सहित सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को डार्क पैटर्न को स्व-विनियमित करने का निर्देश दिया है। कंपनियों को इसका खाका तैयार करना है, जिसके बाद सरकार इसे सील कर देगी। अगर कंपनियों ने ऐसा नहीं किया तो सरकार सख्त रुख अपनाएगी।
अमेरिका और यूरोपीय संघ ने डार्क कंज्यूमर पैटर्न के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। डार्क पैटर्न भ्रामक विज्ञापनों सहित विभिन्न माध्यमों से उपभोक्ताओं को प्रभावित करने या बरगलाने का प्रयास करते हैं। मान लीजिए कि आप एक वेबसाइट ब्राउज़ करते हैं और फिर क्लिक चारा, छिपे हुए विज्ञापन, बेट एन स्विच, छिपी हुई कीमतें, स्पैम और वस्तु विनिमय प्रणाली (संदर्भित) के प्रस्ताव हैं।
ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ बैठक
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, यह उचित व्यापार प्रथा नहीं है क्योंकि इसका इस्तेमाल उपभोक्ताओं को लुभाने, गुमराह करने या प्रभावित करने के लिए किया जाता है। मुंबई में मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने तमाम ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ बैठक की, जिसमें कंपनियों ने सेल्फ रेगुलेशन पर भी सहमति जताई है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो सभी कंपनियां अपनी वेबसाइट से डार्क पैटर्न को हटा देंगी। यदि उपभोक्ताओं की ओर से इस संबंध में कोई शिकायत की जाती है तो उसका भी समाधान किया जाएगा।
डार्क पैटर्न्स पर लगाम लगाने का आखिरी मौका
केंद्रीय मंत्रालय के एक अधिकारी ने टीवी9 को बताया कि डार्क पैटर्न का इस्तेमाल उपभोक्ताओं को गुमराह करने या सही जानकारी नहीं देने के लिए भी किया जाता है। हालाँकि, इस तथ्य को कोई स्वीकार नहीं करता है। यूरोपियन यूनियन और अमेरिका में इसे लेकर तमाम रिपोर्ट्स में बड़ी-बड़ी कंपनियों को डार्क पैटर्न के इस्तेमाल में लिप्त पाया गया है। यही वजह थी कि मंत्रालय ने देश में कारोबार कर रही ई-कॉमर्स कंपनियों को इस चलन पर लगाम लगाने का आखिरी मौका दिया है।
कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी
अगर कंपनियां नहीं सुनती हैं तो सरकार की ओर से सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि कंपनियां सेल्फ रेगुलेशन का खाका तैयार कर मंत्रालय को सौंपेंगी और उसके बाद इसे लागू करने की मंजूरी दी जाएगी। गौरतलब है कि अगर कंपनियां निर्देशों का पालन नहीं करती हैं तो उपभोक्ता कानून के तहत केंद्रीय मंत्रालय अनुचित व्यापार व्यवहार के मुद्दे पर कंपनियों पर भारी जुर्माना लगा सकता है। इसके अलावा डार्क पैटर्न पर शिकंजा कसने के लिए नए नियम लागू किए जा सकते हैं।