भारत में वाहनों के लिए पीयूसी यानी प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य है। यह प्रमाणपत्र सुनिश्चित करता है कि वाहन निर्धारित मानदंडों के भीतर उत्सर्जन कर रहा है और वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करता है। अगर किसी वाहन के पास पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं है तो उस पर कार्रवाई हो सकती है, ऐसे वाहनों का चालान काटा जाता है।
पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं होने पर चालान
मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, भारत में वाहन चलाने के लिए PUC प्रमाणपत्र अनिवार्य है। इस नियम का पालन न करने पर मोटर वाहन अधिनियम की धारा 190 (2) के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है। पहली बार बिना पीयूसी सर्टिफिकेट के पकड़े जाने पर 1000 रुपये का चालान काटा जाएगा और दोबारा पकड़े जाने पर जुर्माना बढ़कर 2000 रुपये हो जाएगा.
PUC सर्टिफिकेट कैसे प्राप्त करें?
पीयूसी प्राप्त करने के लिए आपको अपने वाहन को एक अनुमोदित प्रदूषण परीक्षण केंद्र (पीयूसी केंद्र) पर ले जाना होगा। यह परीक्षण केंद्र आपके वाहन के उत्सर्जन को मापेगा और निर्धारित करेगा कि वे मानकों के भीतर हैं या नहीं। यदि उत्सर्जन मानकों के भीतर है, तो आपको पीयूसी प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। इसके लिए केंद्र आपसे शुल्क लेगा, जो लगभग 100 रुपये है।
पीयूसी प्रमाणपत्र का सत्यापन
पीयूसी प्रमाणपत्र सीमित समय के लिए वैध होता है। नई कार या बाइक का PUC सर्टिफिकेट 1 साल के लिए वैध होता है। इसके बाद हर 6 महीने में नया PUC सर्टिफिकेट लेना होगा. हालांकि, यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि कुछ जगहों पर इसकी वैधता कम हो सकती है, जैसे दिल्ली में आपको हर तीन महीने में नया पीयूसी सर्टिफिकेट लेना होगा।
पीयूसी प्रमाणीकरण से संबंधित अन्य मामले
पीयूसी सर्टिफिकेट को ध्यान से जांचें.
सर्टिफिकेट पर वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर, इंजन नंबर और चेसिस नंबर सही होना चाहिए।
प्रमाणपत्र की वैधता अवधि भी जांच लें.
सर्टिफिकेट में प्रदूषण जांच केंद्र का नाम और पता भी होता है.